यथा देशस्तथा भाषा यथा राजा तथा प्रजा |
यथा भूमिस्तथा तोयं यथा बीजस्तथाङ्कुर: ||
अर्थ - विभिन्न परिस्थितियों का मानव जीवन पर सर्वाङ्गीण प्रभाव होता हैउदाहरणार्थ जैसा देश होता वैसी ही उसकी भाषा होती है और जिस स्वभाव का देश का शासक (राजा) होता है उसी के अनुसार उस देश की प्रजा का आचारण होता है | इसी प्रकार जिस तरह् की भूमि होती है उसी के अनुसार वहां के जल की गुणवत्ता (सुस्वादु या खारा) होती है तथा जैसा बीज होता है उसी तरह् का उसका अङ्कुर प्रस्फुटित होता है |
(उपर्युक्त सुभाषित का यह् अंश - "यथा राजा तथा प्रजा "बहुत उद्धृत किया जाता है |और इस उद्धरण की सत्यता के उदाहरण हमें विश्व के अनेक देशों मे देखने को मिलते हैं जहां शासकों की निरंकुशता के कारण वहां की जनता भी अराजक हो गयी है )
Yathaa deshastathaa bhaasha yathaa raajaa tathaa prajaa.
yathaa bhoomistathaa toym yathaa beejastathaankurah.
Yathaa = for instance. Deshastathaa =deshah +tathaa. Desha = country. Tathaa = such, in that manner. Raajaa = a king, a ruler of the country. Prajaa = citizens of a country.
Bhoomi = land, earth. Toya = water. Beejastathaankurah = beejah +tathaa+ankurah.
Beejah = seed. Ankurah = shoot (sprout) from a seed.
i.e. The prevailing circumstances and conditions have a big impact on the lifestyle of people.For instance their language differs from country to country, the behaviour of the subjects of a country is also dependent upon the attitude of its rulers.Similarly the quality of water is also dependent on the type of the land and its terrain,and the size of the shoot (sprout)is dependent on the type of the seed.
(The line "Yathaa rajaa tathaa prajaa" from the above Subhashita is the most oft quoted one now a days while commentinmg on the anarchy and chaos prevailing in many countries of the world and proves the truth behind it.)
यथा भूमिस्तथा तोयं यथा बीजस्तथाङ्कुर: ||
अर्थ - विभिन्न परिस्थितियों का मानव जीवन पर सर्वाङ्गीण प्रभाव होता हैउदाहरणार्थ जैसा देश होता वैसी ही उसकी भाषा होती है और जिस स्वभाव का देश का शासक (राजा) होता है उसी के अनुसार उस देश की प्रजा का आचारण होता है | इसी प्रकार जिस तरह् की भूमि होती है उसी के अनुसार वहां के जल की गुणवत्ता (सुस्वादु या खारा) होती है तथा जैसा बीज होता है उसी तरह् का उसका अङ्कुर प्रस्फुटित होता है |
(उपर्युक्त सुभाषित का यह् अंश - "यथा राजा तथा प्रजा "बहुत उद्धृत किया जाता है |और इस उद्धरण की सत्यता के उदाहरण हमें विश्व के अनेक देशों मे देखने को मिलते हैं जहां शासकों की निरंकुशता के कारण वहां की जनता भी अराजक हो गयी है )
Yathaa deshastathaa bhaasha yathaa raajaa tathaa prajaa.
yathaa bhoomistathaa toym yathaa beejastathaankurah.
Yathaa = for instance. Deshastathaa =deshah +tathaa. Desha = country. Tathaa = such, in that manner. Raajaa = a king, a ruler of the country. Prajaa = citizens of a country.
Bhoomi = land, earth. Toya = water. Beejastathaankurah = beejah +tathaa+ankurah.
Beejah = seed. Ankurah = shoot (sprout) from a seed.
i.e. The prevailing circumstances and conditions have a big impact on the lifestyle of people.For instance their language differs from country to country, the behaviour of the subjects of a country is also dependent upon the attitude of its rulers.Similarly the quality of water is also dependent on the type of the land and its terrain,and the size of the shoot (sprout)is dependent on the type of the seed.
(The line "Yathaa rajaa tathaa prajaa" from the above Subhashita is the most oft quoted one now a days while commentinmg on the anarchy and chaos prevailing in many countries of the world and proves the truth behind it.)
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