Wednesday, 14 May 2014

Today's Subhashita.


मूलं ब्रह्मा त्वचा विष्णुः शाखा रुद्र महेश्वर:  |
पत्रे  पत्रे  तु  देवानां  वृक्षराज  नमोस्तुते      || 
अर्थ =     हे वृक्षों में श्रेष्ठ ! तुम्हारा  नमन करता हूं |  तुम्हारे  मूल (जड्) मे ब्रह्मा जी  निवास करते हैं  और छाल में  विष्णु भगवान  का निवास है , शाखाओं  मे देवाधिदेव रुद्र (शिव जी) तथा पत्ते पत्ते मे विभिन्न देवगण निवास करते हैं ||

(सनातान हिन्दू धर्म  में वृक्षों को  महत्त्व दिया गया है और उन की पूजा का और संरक्षण भी विधान है | उपर्युक्त श्लोक इसी तथ्य को प्रतिपादित करता है क्योंकि एक वृक्ष के विभिन्न अवयवों में देवताओं की उपस्थिति वर्णित की गई  है |   पूज्य वृक्षों में पीपल, आम्र ,कदम्ब आदि वृक्ष प्रमुख हैं |  पर्यावरण संरक्षण   
हेतु धर्म का उपयोग हमारे पूर्वजों की दूर् दृष्टि  का ही परिचायक है |  किसी कवि ने कहा है - "कहते हैं वेद पुराण, विना वृक्ष के नहि कल्याण ")

Moolam Brahmaa tvachaa Vishnuh shaakhaa Rudra Maheshwarah.
Patre patre to Devaanaam Vruksharaaj namostute.

Moolam = the root of a tree.    Tvachaa = bark of a tree/   Shaakhaa = branches of a tree.
Patre patre = leaves of a tree.    Brahmaa  Vishnu and Rudra Maheshvara are the three main Gods of Hindu Religion, designated the tasks of procreation, preservation and destruction.
Devaanaam = other lesser Gods.   Vruksharaaj = best among the trees.  Namostute =I worship you.

i.e.     O best among all trees !  I worship thee, because God Brahma resides in your roots, God 
Vishnu resides in your bark, and  Lord Rudra Maheshwara resides in your branches. Other lesser 
Gods reside in your leaves.

( In Hindu religion much importance is given to the trees and without their worship no religious  practise is considered as complete. They are treated like the incarnation of the Gods themselves, as described in this Subhashita.  Conservation of the eco-system, of which trees are an integral part,
has been integrated into Religion, which shows the foresight of our ancestors, which, most unfortunately is being neglected now.)

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