Tuesday, 19 July 2016

Today's Subhashita.

अन्यक्षेत्रे कृतं पापं पुण्यक्षेत्रे विनश्यति |
पुण्यक्षेत्रे कृतं पापं  वज्रलेपो भविष्यति || -संस्कृत सुभाषितानि

भावार्थ -  अन्य स्थानों  में किये गये  पापकर्मों  (धर्म द्वारा
निषिद्ध कार्यों ) का दुष्प्रभाव  तीर्थ स्थानों में किये गये पुण्यकार्यों
के प्रभाव से नष्ट हो जाता है |   परन्तु  तीर्थ स्थानों मे किये गये
पापकर्मों का दुष्प्रभाव  वज्रलेप (वर्तमान संदर्भ में जमा  हुआ सीमेंट )
के समान चिरस्थायी होता है (और ऐसे पापों का फल भोगना ही पडता
है ) |
(इस  सुभाषित के  माध्यम  से लोगों को सदाचरण करने के  लिये
प्रेरित किया गया है |  तुलसीदास जी ने भीराम-रावण युद्ध के  प्रसंग में
एक उपमा के माध्यम से इसी विषय को बडी सुन्दरता पूर्वक इस तरह
व्यक्त किया है :- "तब् रघुपति रावण के सीस भुजा सर चाप |
                            काटे बहुत बढे पुनि जिमि तीरथ  कर  पाप | ")

Anyakshetre  krutam paapam punyakshetre vinashyati.
Punyakshtre krutam paapam vajralepo bhavishyati.

Anyakshetre = at other  places.  Krutam = done.  Paapam =
sinful deeds.   Punyakshetre = at a holy place.   Vinsasyati =
gets destroyed.    Vajralepo = hard mortar like Cement now
a dats,   Bhavishati =  becomes.

i.e.    One can get himself absolved from sins committed by him
at other places by doing the pilgrimage of holy places.  But if
he commits sins at a holy places its ill -effect is permanent like
the hardened cement ( and such sins can never be absolved).



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