न हि वैरेण वैराणि शाम्यन्तीह कदाचन |
अवैरेण हि शाम्यन्ति एष धर्मः सनातनः ||
भावार्थ - इस संसार में वैर का प्रतिकार वैर से ही करने से वैर का
अन्त कभी भी नहीं होता है | उसका अन्त तो केवल वैर न कर
सद्भाव पूर्ण व्यवहार से ही संभव है , ऐसा सनातन धर्म का निर्देश है
अन्त कभी भी नहीं होता है | उसका अन्त तो केवल वैर न कर
सद्भाव पूर्ण व्यवहार से ही संभव है , ऐसा सनातन धर्म का निर्देश है
Na hi vairena vairaani shaamyanteeha kadaachana.
avairena hi shaamyanti esha dharma sanaatanah.
Na = not. Hi = surely. Vairena = by enmity.
Vairaani= enmities. Shaamyanteeha = shaamyanti +
iha. Shaamyanti = comes to an end. Iha = in this
world. Kadachana = ever. Avairaina = by not
having enmity. Esha = this, Dharmah = religious
Sanaatanah = eternal. (Sanaatana Dharma is the name
of the Hindus
i.e. Enmty can not be put to an end by countering it
with enmity. It can end only by not observing enmity
but by courteous behaviour, as has been ordained by the
Sanaatana Dharma.
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