Thursday, 6 October 2016

Today's Subhashita.

उपदेशो न  दातव्यो यादृशे तादृशे  नरे  |
पश्य वानर मूर्खेण सुगृही निगृही कृता || - महासुभषितसंग्रह

भावार्थ -    किसी  ऐरे गैरे (अनजान) व्यक्ति को (बिना मांगे कभी
भी उपदेश नहीं देना चाहिये |  देखो न ! एक मूर्ख वानर ने किस प्रकार
एक सुन्दर निवास (घोंसले) में रहने वाले  (बया पक्षी) को (उसका
घोंसाला तोड कर ) गृह विहीन  कर दिया था |

(इस सुभाषित  में जिस प्रसंग को इङ्गित किया है वह् संस्कृत  के
प्रसिद्ध ग्रन्थ  हितोपदेश में वर्णित एक वानर और बया पक्षी की
कहानी है जिस का सार इस प्रकार है |  एक पेड में बया पक्षी ने एक
सुन्दर घोंसला बना रखा था |  तेज वृष्टि मे शरण लेने के लिये एक
वानर उस वृक्ष के नीचे  आया | वह् बुरी तरह भीगा  हुआ था और
ठण्ड से  कांप रहा था | उसकी दुर्दशा देख कर बया ने  उसे यह उपदेश
दिया कि देखो जब  हम अपनी चोंच से तिनके उठा कर घोंसला बना
सकते हैं तो तुम्हारे पास तो दो हाथ हैं | यदि तुमने अपने रहने के लिये
शरण स्थल बनाया होता तो तुम्हारी ऐसी दुर्दशा न होती |  इस बात
पर क्रोधित हो कर वानर ने बया का घोंसला ही तोड दिया | इस  घटना
से यही सीख मिलती है कि एक मूर्ख को कभी उपदेश  नहीं देना चाहिये |)

Upadesho na daatavya yaadrushe taadrushe  nare.
Pashya vaanar moorkhena sugrahee nigruhee krutaa.

Upadesho = preaching, guidance.   Na = not.    Daatavyo=
to be given.   Yaadrushe = like this   Taadrushe= like that.
Nare = people.     Pasya =  Look !    Vaanar = a monkey.
Moorkhena =by a foolish monkey.   Sugruhee = some one
living in a nice home.   Nigrahee = some one without a home.
Kruta = mad, rendered.

i.e.     One should never preach or give guidance without being
asked for to unknown persons.  Look !  how a monkey destroyed
a beautiful abode (of a weaving bird) and rendered her homeless.

(In this subhashita there is an indirect reference to a tale from
Hitopadesh, the famous Sanskrit treatise, about a monkey and a
weaving bird (Baya), which constructs beautiful and cosy nests.
for detailed story please refer to this link -
http://www.culturalindia.net/indian-folktales/hitopadesha-tales/
birds-and-shivering-monkeys.html )


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