Tuesday, 7 November 2017

आज का सुभाषित / Today's Subhashita.


उपकारमेव  तनुते विपद्गतः सद्गुणो  महताम्  |
मूर्छां  गतो  मृतो  वा  निदर्शनं  पारदोत्र  रसः    || -(स्फुट )
                                                     - सुभाषित रत्नाकर

भावार्थ -    गुणवान और महान व्यक्ति  आपदाग्रस्त लोगों के 
सहायक  उसी प्रकार होते है जिस प्रकार पारद  के शोधन द्वारा
प्राप्त रस (औषधि) मूर्छित  या मृतप्राय  व्यक्तियों के प्राणों की
रक्षा में सहायक होता है |

(आयुर्वेद में पारद (पारा) का शोधन कर अनेक औषधियां निर्मित
होती हैं जिनमे 'सिद्ध मकरध्वज ' नामक एक चमत्कारिक  औषधि
भी है जो  मूर्छित या मृतप्राय व्यक्ति में भी जान फूंक देती है | उस
औषधि की तुलना उन सज्जन और महान व्यक्तियों  से की गयी है
जो निस्स्वार्थ सेवा कार्य करते हैं ) 

Upakaarmeva tanute vipadgatah sadgano mahataam.
Moorchaa gato mruto vaa  nidarshanam paradotra rasah.

Upakaara = help, benefits.    Eva = thus, really.   Tanute=
accomplishes.    Vipadgatah = fallen into misfortune.
Sadguno = virtuous.    Mahataam = great persons.
Moorchaagato =  fainted.    Mruto = dead.   Vaa = or.
Nidarshanam = indications.   Paradotra = parado +atra.
Parado = mercury.    Atra = here.    Rasah =  a compound
obtained from mercury by a chemical process in Ayurveda
(the medical science of Hindus)

i.e.     Great and virtuous  persons come to the help of people
fallen into misfortune  just like a compound of mercury is
used to save the life of a fainted or a dying person.
.

(In Ayurveda (Indian system of medicines) a compound derived
from Mercury known as 'Siddha Makaradhvaja' is famous for its
use to revive a fainted or a dying person. In this Subhashita great
and virtuous persons have been compared  to  this compound  of
mercury.)









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