अचोद्यमानानि यथा पुष्पाणि च फलानि च |
स्वं कालं नाSतिवर्तन्ते तथा कर्म पुराकृतम् ||
-सुभषित रत्नाकर (प्रसंग रत्नावली )
भावार्थ - बिना किसी आदेश या प्रेरणा के जिस प्रकार पुष्प
और फल अपने निर्धारित समय पर वृक्षों में उत्पन्न हो जाते
हैं , उसी प्रकार मनुष्य द्वारा बहुत समय पूर्व किये हुए सत्कर्मों
या दुष्कर्मों का फल भी उसे किसी अन्य प्रकार से नहीं परन्तु इसी
प्रकार से समय आने पर स्वयं प्राप्त हो जाता है |
Achodyamaanaani yathaa pshpaani cha phalaani cha.
Svam kaalam naativartante tathaa karma puraakrutam.
.Achodyamaanaani = without any inspiration or inducement.
Yathaa = for instance. Pushpaani = flowers. Cha = and.
Phalaani = fruits. Svam = .self . Kaalam = at the
appropriate time. Naativartante = na+ ati +vartante.
Na = not. Ati = too much. Vartante = behave. Tathaa=
similarly. Karma = deeds, actions. Puraakrutaa =actions
done long ago.
i.e. Just as the flowers and fruits grow on trees at the
appropriate time without any inspiration or inducement, in
the same manner the consequences of good or bad deeds
done by people long ago have to be faced by them in due
course.
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