Tuesday, 20 February 2018

आज का सुभाषित / Today's Subhashita.


अन्ये ते जलदायिनो जलधरास्तृष्णां  विनिघ्नन्ति ये
भ्रातश्चाताक  किं वृथा विरुदितैः खिन्नोSसि विश्राम्यताम्  |
मेघः शारदा एव काशधवलः  पानीयरिक्तोदरो
गर्जत्येव  हि  केवलं भृशतरं  नो  बिन्दुमप्युज्झति  ||
                                        - सुभाषित रत्नाकर ( शार्ङ्गधर)

भावार्थ -   ओ भाई चातक  !   तुम व्यर्थ में रो रो  कर क्यो इतने दुःखी
और थके हुए हो ?   जल प्रदान करने  वाले तथा  अपनी जलधाराओं  से
प्यास बुझाने वाले बादल दूसरे ही होते है |  कांस के सुन्दर तथा श्वेत पुष्पों
के समान शरद ऋतु के ये बादल जल रहित होते हैं और केवल जोर जोर से
गर्जते हैं और जल की एक भी बूंद नहीं बरसाते हैं |

(प्रस्तुत सुभाषित भी एक 'चातकान्योक्ति  है |  इस श्लोक में  सहायता के
आकांक्षी व्यक्ति का प्रतीक चातक पक्षी है तथा जिस से सहायता अपेक्षित
है उसका प्रतीक बादल है |  अधिकांश  व्यक्ति मात्र आश्वासन ही देते रहते है
और बहुत थोडे ही  व्यक्ति होते हैं जो सचमुच सहायता करते हैं |  अतः हर
किसी से याचना करने  से कोई लाभ नहीं होता है |  एक कहावत भी है कि - 
"जो गरजते  हैं वे बरसते नहीं हैं |" )

Anye tey  jaladaayino jaladharaastrushnaam vinighnanti ye.
Bhraatashchaatak kim vruthaa viruditaih khinnosi vishraamyataam.
Meghah shaarada eva kaashadhavalah paaneeyariktodaro.
Garjatyeva  hi kevalam bhrushataram no bindumapyujjhati.

Anye = others.   Tey = they.    Jaladaayino = providing water (rain)
Jaladharaah = clouds.   Trushnaam = thirst.   Vinighnanti = kill,
(quench).    Ye = those.     Bhraatah = brother.    Chaataka = name of
a bird.   Kim = why.   Vruthaa = in vain.   Viruditaih =  wails.
Khinnosi = distressed, sad.   Vishraamyataam=  quiet.   Meghahah=
clouds.      Shaarada = autumn season.    Eva =thus,       Kaash =
a type of grass which produces white flowers.   Dhavalah =beautiful.
Paaneeyariktodaro = paaneeya + rikta + udaro.   Paaneeya = water.
Rikta = empty.   Udaro = abdomen, stomach.   Garjatyeva = make a
rumbling sound.   Hi = surely.  Kevalam = only.    Bhrushataram =
very loud   No = not.   Bindumapyujjhati= bindum + api + ujjhati,
Bindum = drop of water.    Ujjhati = discharges.

i.e.   O brother Chatak !  why are you wailing in vain and are so sad
and depressed ?  Those clouds which provide rain and quench your
thirst  are quite different.   These white clouds of autumn season, like
the beautiful white flowers of 'Kaash' ,  are empty and do not provide
even a single drop of water but simply produce loud rumbling sound.

(This Subhashita is also a 'Chataakaanyyokti' (allegory) .The underlying
idea is that there are very few people who come forward to provide help
and mostly people simply give an assurance which is never fulfilled by
them. So, it is of no use to ask every body for help. )


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