Friday, 30 March 2018

आज का सुभाषित / Today's Subhashita.


गुणाः  कुर्वन्ति  दूतत्वं  दूरेऽपि  वसतां  सताम्  |
केतकीगन्धमाघ्राय  स्वयं  गच्छन्ति  षट्पदाः  ||
               - सुभाषित रत्नाकर (प्रसंग रत्नावली )

भावार्थ -   सज्जन तथा गुणवान व्यक्ति यद्यपि जनसामान्य से
दूरी बनाये रहते हैं , लेकिन उनके गुण ही उन का दूत बन कर समाज
 में उन की प्रसिद्धि कर देते हैं और लोग उनके पास उसी प्रकार खिचे
चले आते  हैं जैसे कि केतकी  के  पुष्पों की सुगन्ध से आकर्षित  हो कर 
मधु मक्खियां स्वयं वहां पहुंच जाती हैं |

Gunaah kurvanti  dootatvam  doorepi  vasataam  sataam.
Ketakee-gancdhamaaghraaya   svyam  gacchanti shatpadaah.

Gunaah = virtues.   Kurvanti = do.     Dootatvam = acting as
a messanger,  advertise.    Doorepi = doore+ api.    Doore =
far away.      Api = even.       Vasataam = live.        Sataam =
noble and virtuous persons.        Ketakee = name of a very
fragrant flower.    Gandha = fragrance,   Aaghraaya = smelling.
Svyam = themself.    Gacchanti = go.    Shatpadaah = bees.

i.e.   Noble and virtuous persons always remain aloof from the
common people, but their virtues act as their messengers  and 
people are attracted towards them just like bees being attracted
towards the Ketakee flowers by their fragrance.

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