Tuesday, 4 September 2018

आज का सुभाषित / Today's Subhashita.


शोकेन  रोगाः  वर्धन्ते  पयसा  वर्धते  तनुः  |
घृतेन  वर्धते  वीर्यं  मांसान्मांसं  प्रवर्धते      ||
                            - चाणक्य नीति (१०/२० )

भावार्थ  -  शोक (दुःख ) होने की स्थिति में शरीर में अनेक प्रकार के रोगों
की उत्पत्ति और वृद्धि हो जाती है |  दूध का सेवन करने से शरीर हृष्ट पुष्ट 
होता है तथा घृत (घी) का सेवन करने से शारीरिक बल और वीर्य  (संतान 
उत्पन्न करने की शक्ति )में वृद्धि हो जाती  है  तथा मांस का सेवन करने से 
तो शरीर में मांस की ही तेजी से वृद्धि होती है |  
(प्रस्तुत सुभाषित में विभिन्न खाद्य पदार्थों के सेवन द्वारा शरीर में होने 
वाले प्रभावों का वर्णन किया गया है |)

 Shokena  rogaah  vardhante  payasaa  vardhate  tanuh.
Ghrutena  vardhate  veeryam   maamsaanmaamsm  pravardhate.

Shokena = by grief.    Rogaah = diseases.   Vardhante = grow.
Payasaa = by consuming milk.    Tanuh = body.   Ghrutena =
by consuming Ghee (cream).    Veeryam = energy, virility.
Maamsaan + maamsam .    Maamsaan = by consuming meat.
Maamsam = flesh.   Pravardhate =  pra + vardhate    Pra =  a
prefix to a word denoting more or best .   Pravardhate = increase
in body mass and muscles.

i.e.   A grieving person is afflicted by many diseases. By consuming
milk the human body grows uniformly and by consuming ghee the
virility and the strength of a person increases.  By consuming meat
the body mass and muscles of a person grow faster.

(In this Subhashita the effect of  grief and consumption of various food
items on the human body have been discussed .)

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