Saturday, 20 October 2018

आज का सुभाषित / Today's Subhashita.


स  जीवति  गुणा  यस्य  यस्य धर्मः  स जीवति  |
गुणधर्मविहीनस्य  जीवितं  निष्प्रयोजनम्         ||
                                   - चाणक्य नीति (१४/१३)

भावार्थ -  उसी व्यक्ति का जीवन ही सार्थक है जो गुणवान
हो या  धर्म के नियमों का पालन करता हो |  गुणों  और धर्म
से विहीन  व्यक्ति के जीवित रहने का कोई उद्देश्य नहीं होता
है (और वह् समाज के लिये वह भार स्वरूप ही रहता है ) |

Sa jeevati .gunaa  yasya   yasya  dharmah sa  jeevati.
Gunadharma-viheenasya  jeevitam  nishprayojanam.

Sa = whosoever.   Jeevati = really lives.   Gunaa = virtues.
Yasya =  whose.    Dharmah = religious austerity.
Gunadharma = virtues and  religious austrity.   Vihanasya=
a person deprived of.   Jeevitam =remaining alive.
Nishprayojanam = having no motive or  aim.

i.e.  Only such a person lives a purposeful life who is virtuous
and practises religious austerity.  A person who is without any
virtues and religiosity has no motive for remaining alive (and
on the other hand is really a burden on the society) .



1 comment:

  1. सही कहा कि वही व्यक्ति वास्तव में जीता है जो गुणवान हो और धर्म के नियमों का पालन करता हो| गुणों और धर्म से विहीन व्यक्ति का जीवन उद्देश्यहीन ही होता है|

    पर हम कहाँ कर पाते हैं ऐसा। गुण संचय के स्थान पर दोषों और कमियों पर अपना ध्यान केंद्रित कर देते हैं। गुरु की उपस्थिति और साधकों का सत्संग हमें स्मरण कराते रहते हैं कि सही दिशा क्या है। दिशा सही हो तो दशा भी धीरे धीरे सुधर ही जाएगी।

    🙏

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