Thursday, 15 November 2018

आज का सुभाषित / Today's Subhashita.


यस्य  कृत्यं  न  जानन्ति  मन्त्रं  वा  मन्त्रितं  परे  |
कृतमेवास्य  जानन्ति  स  वै  पण्डित  उच्यते       ||
                                    - महाभारत (विदुर नीति )

भावार्थ -  जिस व्यक्ति द्वारा भविष्य में किये जाने वाले कार्यों  के
बारे में मन्त्रणा (विचार) करने, निश्चय करने तथा उसके पश्चात
क्रियान्वयन होने तक अन्य व्यक्ति कुछ भी नहीं  जानते हैं , वही
एक पण्डित कहलाता है  |

(प्रस्तुत सुभाषित में किसी भी योजना को क्रियान्वित करणे से  पूर्व
विचार विमर्श तथा निर्णय को तब  तक गोपनीय रखने का परामर्श 
दिया गया है जब तक वह कार्य प्रारम्भ न कर दिया जाय |  ऐसा नहीं
करने से योजना में अनेक विघ्न बाधायें उत्पन्न हो जाती हैं | )

Yasya krutyam  na  jaananti  mantram  vaa mantritam  pare.
Krutamevasya  jaananti  sa  vai  pandit  uchyate,

Yasya =  whose.   Krutyam =  deeds.    Na = not.    Jaananti =
Know.   Mantram =  consultation.    Vaa = or.    Mantritam =
already consulted.   Pare =  later, afterwards.   Krutam+eva +
asya.    Krutam=done.   Eva =really.    Asya = this.  JaananIi=
know..  Sa =  that person.   Vai = only.   Pandira = a learned
person.    Uchyate = is called.

i.e.     A person , whose actions about a project undertaken by
him are not know to others  during  the stages of  consultations, 
finalisation, and implementation , and  they know about it when
it is completed,  is truly called a learned person.

(This Subhashita advises maintenance of proper secrecy while
planning and implementing any  project .If this is not done, many
problems and obstacles arise during implementation of the project.)


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