Wednesday, 14 November 2018

आज का सुभाषित / Today's Subhashita.


व्यालाश्रयापि  विकलापि  सकण्टकापि
वक्रापि  पङ्किलभवापि  दुरासदापि         |
गन्धेन  बन्धुरसि  केतकि  सर्वजन्ता-
रेको  गुणः खलु  निहन्ति  समस्त दोषान्  ||
                          - चाणक्य नीति (१७/२१ )

भावार्थ -     यह सर्वविदित  है कि केतकी के वृक्षक (झाड)
में सांप  निवास करते हैं , वह अपूर्ण भी होता है , उसमें
कांटे भी होते हैं,  वह कीचड  में उगता है, उसका आकार 
टेढा  होता है और उस तक पहुंचना  (उसके फूल चुनना )
कठिन और हानिकर भी होता है |  परन्तु फिर भी उसकी
सुगन्ध  से मित्रता है (उसके पुष्प अत्यन्त सुगन्धित होते
हैं) और उसका यही एक गुण उसके समस्त दोषों को नष्ट
कर देता  है |
(उपर्युक्त सुभाषित का तात्पर्य यह है कि यदि किसी वस्तु
या व्यक्ति में कोई महान गुण हो तो उसके अन्य दोषों को
लोग स्वीकार कर लेते हैं |  एक कहावत भी है कि - 'दुधारू
गाय की लात भी भली '  | )

Vyaalaashrayaapi   vikalaapi sakantakaapi.
Vakraapi pankilaabhavaapi  duraasadaapi.
Gandhena  bandhurapi  ketaki sarvajantaa-
reko gunah  khalu  nihanti  samasta  doshaan.

Vyaala+ashrya + api.    Vyaala = a snake.   Aashrya=
shelter.    Api = even.    Vikalaapi = vikala +api,
Vikala = imperfect.    Sakantaka+ api.   Sakantaka=
with thorns.   Vakra + api.    Vakra = bent, curved.
Pankila + bhava+ api.    Pankila= slushy.  Bhava=
grows, prospers.    Durasada+ api,     Duraasada =
difficult or dangerous to be approached. Gandhena=
with sweet smell.     Bandhuh + api.       Bandhuh =
friend.    Ketaki = name of a thorny shrub producing 
fragrant flowers.  Sarvajantaa = well-known.   Eko =
only one.  Gunah = virtue.  Khalu = verily. Nihanti =
kills, destroys.    Samast = all.    Doshaam = defects.

 i.e.    It is very well known that the shrub of  'Ketaki'
is a shelter of snakes,  is imperfect , is full of thorns,
its shape is curved, grows in slush and it is dangerous
and difficult to approach (for its flowers).  But still its
only one virtue of  friendship with fragrance ( having
fragrant  and beautiful flowers ) destroys all its defects.

(The idea behind this subhashita is that if a thing or a
person has even one very important virtue people do
not mind the defects in them.   There is also a saying
that  people tolerate  even the kicks by a cow while
milking it.)
.
                           

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