Wednesday, 21 November 2018

आज का सुभाषित / Today's Subhashita.


सोSस्य  दोषो  न  मन्तव्यः  क्षमा हि  परमं  बलं  |
क्षमा  गुणो  अशक्तानां  शक्तानां  भूषणं  क्षमा  ||
                                                    -  विदुर नीति 

भावार्थ -  हमें किसी व्यक्ति में क्षमा करने  की भावना को उसका दोष
नहीं मानना चाहिये क्यों कि क्षमा करना परम् शक्ति का प्रतीक है |
जो व्यक्ति अशक्त (शक्तिहीन ) होते हैं तो यह उनका एक गुण है  तथा
शक्तिशाली व्यक्तियों के लिये उनकी शोभा बढाने के लिये एक आभूषण
के समान है |
(एक अशक्त व्यक्ति यदि क्षमाशील न  हो तो उसे सदैव अन्य व्यक्तियों
से व्यवहार करने में कठिनाई होती है और उसे विनम्र और क्षमाशील हो कर
ही अपना कार्य सिद्ध करना पडता है |  इसके विपरीत एक शक्तिशाली व्यक्ति
यदि किसी त्रुटि को क्षमा करता है तो यह उसकी महानता कहलाती  है )

Sosya dosho  na mantavyah  kshamaa hi  paramam balam.
Kshamaa guno  ashaktaanaam  shaktaanaam bhooshanam kshmaa,

Sosya = sah +asya.   Sah = its.   Asya = this.    Dosho= shortcoming.
defcct.   Na =not,    Mantavyo  = to be considered as.     Kshmaa=
forgiveness.     Hi = surely.    Paramam = supreme.   Balam = power.
Guno = virtue.    Ashaktaanaam = those who are not powerful.
Shaktaanaam = those who are powerful.   Bhooshaam = adornment,
embellishment.

i.e.    We should not treat the forgiving nature of a person as his defect
or a shortcoming , because forgiveness is the supreme power.  It is a
virtue among the persons who are not powerful and is an adornment
or embellishment in the personality of a powerful person.

(If the powerless persons  are not of forgiving nature, they have to face
many hardships while dealing with others. On the other hand if a powerful
person pardons a person it is treated as his magnanimity. )


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