अर्थागमो नित्यमरोगिता च
प्रिया च भार्या प्रियवादिनी च |
वश्यस्य पुत्रो Sर्थकरी च विद्या
षड् जीवलोकस्य सुखानि राजन् || = विदुर नीति
भावार्थ - हे राजन् ! इस पृथ्वी में छः प्रकार के सुख कहे
गये हैं :- (१) नियमित रूप से धन की प्राप्ति (२) निरोग
शरीर (३) प्रेम करने वाली पत्नी (४) मृदुभाषी पत्नी (५)
आज्ञाकारी पुत्र तथा (६ ) ऐसी विद्या में निपुणता जो धन
संपत्ति प्राप्त करने में सहायक हो |
Arthaagamo nityamarogitaa cha.
Priyaa Cha Bhaaryaa Priyavaadinee cha.
Vashyasya putrorthakaree cha visyaa.
Shad jeevalokasya sukhaani raajan.
Artha+ aagamo. Artha =wealth. Aagamo = arrival.
Nityam +arogitaa. Nityam = always. Arogitaa =
healthiness. Priyaa =beloved. Bhaaryaa = wife.
Priyavaadinee = speaking kindly. Cha = and.
Vashyasya = obedient. Putro + arthakaree, Put
the Son. Arthakaree = profitable. Vidyaa =
Knowledge. Shad = six. Jeevalokasya = the Earrh's
Sukhaani = happiness . Raajan - O king.
i.e. O King ! There are six means of enjoying a happy
lifestyle in this World , namely (i) regular source of income,
(ii) always having good health (iii) a loving wife (iv) a soft
speaking wife (v) an obedient son, and (vi) and knowledge
or expertise in a profession which yields regular income.
सुख प्राप्त करना हर व्यक्ति चाहता है। यदि वह सुख के षट् साधनों से सम्पन्न हो तो निश्चित ही सुखी रह सकता है।सुभाषित आज के समयानुकूल है । बहुत-बहुत धन्यवाद।
ReplyDeleteबढ़िया
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