Saturday, 24 November 2018

आज का सुभाषित / Today's Subhashita.


अर्थागमो  नित्यमरोगिता  च                     
प्रिया  च  भार्या  प्रियवादिनी  च  |
वश्यस्य  पुत्रो Sर्थकरी  च  विद्या
षड्  जीवलोकस्य  सुखानि राजन्  || = विदुर नीति

भावार्थ -    हे राजन्  !    इस पृथ्वी में  छः प्रकार के सुख कहे 
गये  हैं :-   (१) नियमित रूप से धन की प्राप्ति  (२)   निरोग
शरीर  (३)   प्रेम करने  वाली पत्नी   (४) मृदुभाषी पत्नी   (५)
आज्ञाकारी पुत्र  तथा  (६ )  ऐसी विद्या में निपुणता जो धन
संपत्ति प्राप्त करने में सहायक हो |


Arthaagamo  nityamarogitaa  cha.
Priyaa  Cha  Bhaaryaa  Priyavaadinee  cha.
Vashyasya  putrorthakaree  cha  visyaa.
Shad  jeevalokasya  sukhaani  raajan.

Artha+ aagamo.    Artha =wealth.   Aagamo = arrival.
Nityam +arogitaa.    Nityam = always.   Arogitaa =
healthiness.   Priyaa =beloved.   Bhaaryaa = wife.
Priyavaadinee = speaking  kindly.    Cha = and.
Vashyasya = obedient.   Putro + arthakaree,    Put 
the Son.     Arthakaree = profitable.      Vidyaa =
Knowledge.  Shad = six.  Jeevalokasya = the Earrh's
Sukhaani = happiness .    Raajan - O king.

i.e.    O King !   There are six means of enjoying a happy
lifestyle  in this World , namely (i)  regular source of income,
(ii) always having good health  (iii) a loving wife   (iv) a soft
speaking wife  (v)  an obedient son, and  (vi)  and knowledge
or expertise in a profession which yields regular income.




                                   

2 comments:

  1. सुख प्राप्त करना हर व्यक्ति चाहता है। यदि वह सुख के षट् साधनों से सम्पन्न हो तो निश्चित ही सुखी रह सकता है।सुभाषित आज के समयानुकूल है । बहुत-बहुत धन्यवाद।

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