कवयः किं न पश्यन्ति किं न भक्षन्ति वायसाः |
प्रमदा किं न कुर्वन्ति किं न जल्पन्ति मद्यपाः ||
अर्थ - अपनी अन्तर्दृष्टि द्वार कविगण क्या नहीं देख सकते हैं , कव्वे कौन सा उच्छिष्ठ भोजन नहीं खा
सकते हैं, एक दुष्ट और व्यभिचारिणी युवती क्या नहीं कर सकती है तथा शराबी व्यक्ति क्या प्रलाप करना
(अर्थहीन बातें तथा अपशब्द बोलना) छोड सकते हैं ?
(इस प्रकार के प्रश्नवाचक सुभाषित द्वारा प्रकारान्त से सुभाषितकार का तात्पर्य यह है कि कवियों की अन्तर्दृष्टि प्रबल होती है और वे भविष्य की घटनाओं का सही अनुमान लगा लेते हैं , कव्वे भक्ष्य अभक्ष्य सभी कुछ खा लेते हैं , एक व्यभिचारिणी स्त्री कोई भी वर्जित कार्य कर सकती है , तथा शराब के नशे में शराबी कुछ भी अनर्गल बात कर सकता है | )
Kavayh kim na pashyanti kim na bhakshanti vaayasaah.
pramadaa kim na kurvanti kim na jalpanti madyapaah.
Kavayh = poets. Kim = what. Na = not. Pashyanti = foresee, find out, insight.
Bhakshanti = eat. Vaayasaah = crows. Pramadaa = a young and unrestrained woman.
Kurvanti = can do, does. Jalpanti = do loose talk. Madyapaah = drunkards, alcoholics.
i.e. What not poets can foresee, what not the crows can eat, what not can a unrestrained young woman can do, and what loose talk drunkards can not do ?
(Through this Subhashita the author emphasises in a negative way that poets have great insight to foresee things and events, the crows can eat any type of leftover food , a wanton young woman can do any foolish action, and drunkards always resort to loose talk without bothering for its consequences.)
प्रमदा किं न कुर्वन्ति किं न जल्पन्ति मद्यपाः ||
अर्थ - अपनी अन्तर्दृष्टि द्वार कविगण क्या नहीं देख सकते हैं , कव्वे कौन सा उच्छिष्ठ भोजन नहीं खा
सकते हैं, एक दुष्ट और व्यभिचारिणी युवती क्या नहीं कर सकती है तथा शराबी व्यक्ति क्या प्रलाप करना
(अर्थहीन बातें तथा अपशब्द बोलना) छोड सकते हैं ?
(इस प्रकार के प्रश्नवाचक सुभाषित द्वारा प्रकारान्त से सुभाषितकार का तात्पर्य यह है कि कवियों की अन्तर्दृष्टि प्रबल होती है और वे भविष्य की घटनाओं का सही अनुमान लगा लेते हैं , कव्वे भक्ष्य अभक्ष्य सभी कुछ खा लेते हैं , एक व्यभिचारिणी स्त्री कोई भी वर्जित कार्य कर सकती है , तथा शराब के नशे में शराबी कुछ भी अनर्गल बात कर सकता है | )
Kavayh kim na pashyanti kim na bhakshanti vaayasaah.
pramadaa kim na kurvanti kim na jalpanti madyapaah.
Kavayh = poets. Kim = what. Na = not. Pashyanti = foresee, find out, insight.
Bhakshanti = eat. Vaayasaah = crows. Pramadaa = a young and unrestrained woman.
Kurvanti = can do, does. Jalpanti = do loose talk. Madyapaah = drunkards, alcoholics.
i.e. What not poets can foresee, what not the crows can eat, what not can a unrestrained young woman can do, and what loose talk drunkards can not do ?
(Through this Subhashita the author emphasises in a negative way that poets have great insight to foresee things and events, the crows can eat any type of leftover food , a wanton young woman can do any foolish action, and drunkards always resort to loose talk without bothering for its consequences.)
Wonderful and realistic quote
ReplyDelete