नक्रः स्वस्थानमासाद्य गजेन्द्रमपि कर्षति |
स एव प्रच्युतः स्थानाच्छुनSपि परिभूयते ||
अर्थ - एक मगर अपने निवास स्थान (गहरे जलाशय या नदी ) में रहने की स्थिति में एक शक्तिशाली हाथी को भी जल में घसीट कर उसको अपने वश मे कर लेता है | परन्तु यदि वह् अपने स्वाभाविक परिवेश (गहरे जल ) में नहीं होता है तो एक साधारण कुत्ता भी उस पर हावी हो कर उस पर विजय प्राप्त कर लेता है |
( 'सुभाषित रत्नाकर ' पुस्तक जिस से यह श्लोक लिया गया है , उसमें 'शुन' का तात्पर्य एक टिप्पणी द्वारा
'मशक ' अर्थात मच्छर दिया है | परन्तु 'अमरकोश' में 'शुन' का अर्थ कुत्ता ही दिया गया है | हिन्दी भाषा में एक कहावत है कि - अपने घर में एक कुत्ता भी शेर हो जाता है,जिसका भी इसी सुभाषित के समान तात्पर्य है )
Nakrah svasthaanamaasaadya gajendramapi karshati.
Sa eva prachyutah sthaanaacchunapi paribhooyate.
Nakra = crocodile. Svasthaan = one's own place or domain. aasaadya = reaching
Gajendra = leader of a herd of elephants. Api = even. Karshati = overpowers, drags away.
Sa = he. Eva = already. Prachyutah = deprived of, fallen from. Sthaanaacchunapi= sthaanaat + shuna+api. Sthaanaat = place, Shuna =dog. Paribhooyate = conquers, becomes superior.
i.e. When a crocodile is in its own domain ( a deep lake or a river) he can drag away and overpower even a powerful elephant. But when it is not in such surroundings (deep water) then
even an ordinary dog* is able to conquer it.
( In the book 'Subhashita Ratnakar' from which the above Subhashita has been taken, through a footnote the author has indicated that 'shun' means 'mashak' i.e. a mosquito. But in 'Amarkosh',
- a Dictionary of Sanskrit words, the meaning of 'Shun' has been given as a dog.)
स एव प्रच्युतः स्थानाच्छुनSपि परिभूयते ||
अर्थ - एक मगर अपने निवास स्थान (गहरे जलाशय या नदी ) में रहने की स्थिति में एक शक्तिशाली हाथी को भी जल में घसीट कर उसको अपने वश मे कर लेता है | परन्तु यदि वह् अपने स्वाभाविक परिवेश (गहरे जल ) में नहीं होता है तो एक साधारण कुत्ता भी उस पर हावी हो कर उस पर विजय प्राप्त कर लेता है |
( 'सुभाषित रत्नाकर ' पुस्तक जिस से यह श्लोक लिया गया है , उसमें 'शुन' का तात्पर्य एक टिप्पणी द्वारा
'मशक ' अर्थात मच्छर दिया है | परन्तु 'अमरकोश' में 'शुन' का अर्थ कुत्ता ही दिया गया है | हिन्दी भाषा में एक कहावत है कि - अपने घर में एक कुत्ता भी शेर हो जाता है,जिसका भी इसी सुभाषित के समान तात्पर्य है )
Nakrah svasthaanamaasaadya gajendramapi karshati.
Sa eva prachyutah sthaanaacchunapi paribhooyate.
Nakra = crocodile. Svasthaan = one's own place or domain. aasaadya = reaching
Gajendra = leader of a herd of elephants. Api = even. Karshati = overpowers, drags away.
Sa = he. Eva = already. Prachyutah = deprived of, fallen from. Sthaanaacchunapi= sthaanaat + shuna+api. Sthaanaat = place, Shuna =dog. Paribhooyate = conquers, becomes superior.
i.e. When a crocodile is in its own domain ( a deep lake or a river) he can drag away and overpower even a powerful elephant. But when it is not in such surroundings (deep water) then
even an ordinary dog* is able to conquer it.
( In the book 'Subhashita Ratnakar' from which the above Subhashita has been taken, through a footnote the author has indicated that 'shun' means 'mashak' i.e. a mosquito. But in 'Amarkosh',
- a Dictionary of Sanskrit words, the meaning of 'Shun' has been given as a dog.)
नक्रः स्वस्थानमासाद्य गजेन्द्रमपि कर्षति |
ReplyDeleteस एव प्रच्युतः स्थानाच्छुनाSपि परिभूयते
is the correction शुनऽपि should be replaced by शुनाऽपि since शुना is श्वन् शब्दस्य तृतीयाविभक्तौ एकवचनम्
Yes it is dog. A crocodile whether in water or on land can not be controlled by a fly. The crocodile can catch even an elephant when in water. But on land, even a dog can control it.
ReplyDelete