Wednesday, 13 January 2016

Today's Subhashita.

अस्ति यद्यपि सर्वत्र नीरं  नीरज  राजितं  |
मोदते न तु  हंसस्य  मानसं  मानसं विना  ||  -महासुभषितसंग्रह (३८४७)

अर्थ -     यद्यपि सभी जलाशयों की शोभा उनके  जल  में खिले हुए 
कमल पुष्पों से होती है , परन्तु  राजहंसों का मन बिना मानसरोवर 
के जल में विहार किये हुए प्रसन्न नहीं होता है |  
(प्रकारान्त से इस सुभाषित का मन्तव्य यह्  है कि  राजहंस भी 
उसी प्रकार  मानसरोवर को  सुशोभित करते हैं जैसा कि कमल पुष्प  
अन्य सरोवरों को  करते हैं | सनातन धर्म में मानसरोवर की , जो अब   
 तिब्बत में स्थित है, एक तीर्थ  के रूप में मान्यता है | )

Asti yadyapi sarvatra neeram neeraj  raajitam.
Modate na tu hmsasya maanasam maanasam  vinaa.

Asti = exists.     Yadyapi = although.     Sarvatra= everywhere..
Neeram =  water.     Neeraj = lotus flower. Raajitam = adorned 
Modate =  be delighted/     Na = not      Tu = but.    Hansasya = 
a swan's .     Maanasam =  mind      Maanasam = the sacred lake 
known as 'Maanasarovar'  also mentioned  in Hindu Mythology, . 
which is situated in Tibet presently under.  the Chinese rule and 
is a place of pilgrimage  for Hindus.      Bina = without.

i.e.      Although all the lakes and water bodies are adorned by the
lotus flowers growing in them, but  the Swans are not delighted 
unless they get an opportunity to float in the serene waters of the
Maansarovar.

(Indirectly it means that when Swans float on the surface of 
Maansoravar, they embellish its beauty, just like the lotus flowers
in other water bodies. )  
/    

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