हे दारिद्र्य नमस्तेस्तु धन्योSहं त्वत्प्रसादतः |
लोकान्पश्याम्यहं सर्वान्न मां पश्यति कश्चन || - सुभाषितरत्नाकर
भावार्थ - हे दरिद्रता ! तुम्हे प्रणाम | तुम्हारी कृपा से में धन्य हो
गया हूं क्योंकि में तो सभी लोगों को (आशा भारी दृष्टि से ) देखता हूं
परन्तु मुझे शायद ही कोई देखना पसंद करता है |
( इस सुभाषित में एक निर्धन व्यक्ति की व्यथा व्यंग्यात्मक रूप से
व्यक्त की गयी है | वह् तो सभी लोगों से सहायता की आशा करता है
परन्तु उसकी सहायता करना तो दूर कोई उसे देखना भी पसंद नहीं
करता है | )
He daaridrya namastestu dhanyoham tvatprasaadatah.
Lokaanpashyaamyaham sarvaann maam pashyati kashchana.
He = O ! Daaridrya = poverty Namestestu = namesteh +
tu. Namaste = salutations. Tu = and. Dhanyoham =
dhanyo + aham . Dhanyo = blessed, fortunate. Aham = I am.
Tvatprasaadatah = tvad +prasaadatah. Tvad = thou, your.
Prasaadatah = due to favour or mercy. Lokaanpashyaamyaham =
Lokaat +pashyaami + aham. Lokaat = to the people. Pashyaami=
see. Aham = I/ Varvaanna = sarvaam + na. Sarvaam = all.
Na = not/ Maam = me. Pashyati = sees/ Kashchana = somebody.
i.e. O poverty ! I salute thee. I am blessed to be favoured by you
as a result of which while I approach every one (for help) nobody
wants even to see me.
(The above Subhashita is a satire on poverty highlighting the woes of
a poor person.)
लोकान्पश्याम्यहं सर्वान्न मां पश्यति कश्चन || - सुभाषितरत्नाकर
भावार्थ - हे दरिद्रता ! तुम्हे प्रणाम | तुम्हारी कृपा से में धन्य हो
गया हूं क्योंकि में तो सभी लोगों को (आशा भारी दृष्टि से ) देखता हूं
परन्तु मुझे शायद ही कोई देखना पसंद करता है |
( इस सुभाषित में एक निर्धन व्यक्ति की व्यथा व्यंग्यात्मक रूप से
व्यक्त की गयी है | वह् तो सभी लोगों से सहायता की आशा करता है
परन्तु उसकी सहायता करना तो दूर कोई उसे देखना भी पसंद नहीं
करता है | )
He daaridrya namastestu dhanyoham tvatprasaadatah.
Lokaanpashyaamyaham sarvaann maam pashyati kashchana.
He = O ! Daaridrya = poverty Namestestu = namesteh +
tu. Namaste = salutations. Tu = and. Dhanyoham =
dhanyo + aham . Dhanyo = blessed, fortunate. Aham = I am.
Tvatprasaadatah = tvad +prasaadatah. Tvad = thou, your.
Prasaadatah = due to favour or mercy. Lokaanpashyaamyaham =
Lokaat +pashyaami + aham. Lokaat = to the people. Pashyaami=
see. Aham = I/ Varvaanna = sarvaam + na. Sarvaam = all.
Na = not/ Maam = me. Pashyati = sees/ Kashchana = somebody.
i.e. O poverty ! I salute thee. I am blessed to be favoured by you
as a result of which while I approach every one (for help) nobody
wants even to see me.
(The above Subhashita is a satire on poverty highlighting the woes of
a poor person.)
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