Tuesday, 14 June 2016

Today's Subhashita.


ऐक्यं बलं  समाजस्य  तद्भावे  स  दुर्बलः   |
तस्मात् ऐक्यं प्रशंसन्ति दृढं राष्ट्र हितैषिणः || - संस्कृत सुभाषितानि

भावार्थ -     एकता ही किसी समाज का बल (शक्ति) होता है तथा
उसी प्रकार दुर्बल व्यक्तियों का भी बल होता है |  इसी कारण जो
लोग एक महान और दृढ (शक्तिसंपन्न) राष्ट्र की कामना करते हैं
और  हितेषी होते  हैं  वे समाज में  एकता की प्रशंसा (और प्रसार)
करते हैं |

(संस्कृत मे एक अन्य 'आप्त वचन ' में भी  कहा गया है कि - "संघौ
शक्तिः कलौयुगे "  अर्थात कलियुग (वर्तमान युग) में संगठन (एकता)
ही वास्तविक शक्ति है |  जो समाज संगठित होता है वही शक्तिशाली
होता है | )

Aikyam balam samaajasya tadbhaave sa durbalah.
Tasmaat aikyam prashamsanti drudham Raashtram Hiteshinah.

Aikyam = unity.    Balam = strength, power.    Samajasya =
of the society.    Tadbhaave =in the same manner.   Sa = it.
Durbalah  = weak person.        Tasmaat = therefore, hence.
Prashamsanti = praise, admire.    Drudham =  mighty, firm.
Raashtra = a Nation.   Hitaishinah = well wishers.

i.e.    Unity is the real strength of a society and in the same
manner also of the weak persons.   Therefore, those persons
whoaspire for a united and powerful Nation always praise and
propagate unity among the citizens















raashtra hiteshinah

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