ऐक्यं बलं समाजस्य तद्भावे स दुर्बलः |
तस्मात् ऐक्यं प्रशंसन्ति दृढं राष्ट्र हितैषिणः || - संस्कृत सुभाषितानि
भावार्थ - एकता ही किसी समाज का बल (शक्ति) होता है तथा
उसी प्रकार दुर्बल व्यक्तियों का भी बल होता है | इसी कारण जो
लोग एक महान और दृढ (शक्तिसंपन्न) राष्ट्र की कामना करते हैं
और हितेषी होते हैं वे समाज में एकता की प्रशंसा (और प्रसार)
करते हैं |
(संस्कृत मे एक अन्य 'आप्त वचन ' में भी कहा गया है कि - "संघौ
शक्तिः कलौयुगे " अर्थात कलियुग (वर्तमान युग) में संगठन (एकता)
ही वास्तविक शक्ति है | जो समाज संगठित होता है वही शक्तिशाली
होता है | )
Aikyam balam samaajasya tadbhaave sa durbalah.
Tasmaat aikyam prashamsanti drudham Raashtram Hiteshinah.
Aikyam = unity. Balam = strength, power. Samajasya =
of the society. Tadbhaave =in the same manner. Sa = it.
Durbalah = weak person. Tasmaat = therefore, hence.
Prashamsanti = praise, admire. Drudham = mighty, firm.
Raashtra = a Nation. Hitaishinah = well wishers.
i.e. Unity is the real strength of a society and in the same
manner also of the weak persons. Therefore, those persons
whoaspire for a united and powerful Nation always praise and
propagate unity among the citizens
raashtra hiteshinah
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