न कालो दण्डमुद्यम्य शिरः कृन्तति कस्यचित् |
कालस्य बलमेतावत् विपरीतार्थदर्शनम् || -संस्कृत सुभाषितानि
भावार्थ - काल ( भाग्य) किसी व्यक्ति को यदि सजा देता है तो किसी दण्ड
(शस्त्र ) से न दे कर केवल उसकी बुद्धि भृष्ट कर देता है | उसकी शक्ति इसी में
निहित है कि वह उस व्यक्ति की अपना भला बुरा समझने की शक्ति को ही
नष्ट कर देता है जिस के फलस्वरूप वह हर बात का उलटा मतलब निकाल कर
नष्ट हो जाता है
{रामायण में तुलसीदास जी ने राजा प्रतापभानु और कालनेमि की कथा के
प्रसंग में इस सुभाषित की भावना को इस दोहे में बडी सुन्दरता से व्यक्त किया है -
" तुलसी जसि भवितव्यता तैसी मिलइ सहाइ |
आपुनु आवइ ताहि पहीं ताहि तहां लै जाइ || - पद 159 (क) }
Na kaalo dandamudyamya shirah kruntati kasyachit.
Kaalasya balametaavat vipareetaarthadarshanam.
Na = not. Kaalo =destiny. Dandamudyamya = dandam + udyamya.
Danda = punishment, a rod. Udyamya = to be undertaken with
exertion or effort. Shirah = head, Kruntati = destroys
Kasyachit = kasya + chit. Kasya = whose. Chit = thinking
Kaalasya = time. Balametaavat = balam + etaavat. Balam =.
power, strength. Etaavat = so much. Vipareetaarthadarshanam =
vipareet +artha + darshanam. Vipareeta = opposite, contrary.
Artha = meaning , Darshanam = viewing, seeing.
i.e. If the Destiny is against a person, it does not punish him by
striking him with a weapon, but destroys his thought process (as a
result of which he is unable to decide what is good or bad for him).
This is the main power of Destiny that the person concerned sees
every thing in the wrong perspective, which ultimately results in his
destruction.
कालस्य बलमेतावत् विपरीतार्थदर्शनम् || -संस्कृत सुभाषितानि
भावार्थ - काल ( भाग्य) किसी व्यक्ति को यदि सजा देता है तो किसी दण्ड
(शस्त्र ) से न दे कर केवल उसकी बुद्धि भृष्ट कर देता है | उसकी शक्ति इसी में
निहित है कि वह उस व्यक्ति की अपना भला बुरा समझने की शक्ति को ही
नष्ट कर देता है जिस के फलस्वरूप वह हर बात का उलटा मतलब निकाल कर
नष्ट हो जाता है
{रामायण में तुलसीदास जी ने राजा प्रतापभानु और कालनेमि की कथा के
प्रसंग में इस सुभाषित की भावना को इस दोहे में बडी सुन्दरता से व्यक्त किया है -
" तुलसी जसि भवितव्यता तैसी मिलइ सहाइ |
आपुनु आवइ ताहि पहीं ताहि तहां लै जाइ || - पद 159 (क) }
Na kaalo dandamudyamya shirah kruntati kasyachit.
Kaalasya balametaavat vipareetaarthadarshanam.
Na = not. Kaalo =destiny. Dandamudyamya = dandam + udyamya.
Danda = punishment, a rod. Udyamya = to be undertaken with
exertion or effort. Shirah = head, Kruntati = destroys
Kasyachit = kasya + chit. Kasya = whose. Chit = thinking
Kaalasya = time. Balametaavat = balam + etaavat. Balam =.
power, strength. Etaavat = so much. Vipareetaarthadarshanam =
vipareet +artha + darshanam. Vipareeta = opposite, contrary.
Artha = meaning , Darshanam = viewing, seeing.
i.e. If the Destiny is against a person, it does not punish him by
striking him with a weapon, but destroys his thought process (as a
result of which he is unable to decide what is good or bad for him).
This is the main power of Destiny that the person concerned sees
every thing in the wrong perspective, which ultimately results in his
destruction.
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