न प्रहृष्यति सम्माने नापमाने च कुप्यति |
न क्रुद्धः परुषं ब्रूयात् स वै साधूतमः स्मृतः || -संस्कृत सुभाषितानि
भावार्थ - जो व्यक्ति सम्मानित किये जाने पर बहुत प्रसन्न नहीं
होता है और न अपमानित किये जाने पर कुपित होता है, तथा यदि
कभी क्रोधित हो भी जाये तो अपशब्द नहीं बोलता है ,वही साधु जनों
मे सर्वोत्तम कहा जाता है |
(गुरु नानक जी के एक शबद में उपर्युक्त सुभाषित भावना को बडे ही
सुन्दर शब्दों में व्यक्त किया गया है :-
जो नर दुखमें दुख नहिं माने |
सुख -सनेह अरु भय नहिं जाके कंचन माटी जाने -
नहिं निंदा नहीं अस्तुति जाके , लोभ मोह अभिमाना |
हरष शोक तें रहै नियारो नाहिं मान -अपमाना |
काम-क्रोध जेहि परसै नाहिन, तेहि घट ब्रह्म निवासा |
गुरु किरपा जेहि नरपै कीन्ही तिन जुगति पिछानी |
नानक लीन भयो गोविन्द्सों ज्यों पानी संग पानी | )
Na prahrushyati sammane naapamaane ha kupyati.
Na kruddhah parusham brooyaat sa vai saadhootamah smrutah.
Na = not. Prahrushyati = be thrilled. Sammaane = honour.
Naapamaane = na + apamaane. Apamaane = insult. Cha = and.
Kupyati = becomes angry. Kruddham = angered. Parusham =
harsh (words) . Brooyaat = says. Sa = he. Vai = an adverb
placed after a word for laying stress on it. Saadhoottamah =
Best among the noble and virtuous persons. Smrutah = termed as.
i.e. A person who is not thrilled on being honoured and does not
become angry on being insulted. and if per chance becomes angry
does not use harsh and abusive language, is truly the best among
noble and virtuous persons.
न क्रुद्धः परुषं ब्रूयात् स वै साधूतमः स्मृतः || -संस्कृत सुभाषितानि
भावार्थ - जो व्यक्ति सम्मानित किये जाने पर बहुत प्रसन्न नहीं
होता है और न अपमानित किये जाने पर कुपित होता है, तथा यदि
कभी क्रोधित हो भी जाये तो अपशब्द नहीं बोलता है ,वही साधु जनों
मे सर्वोत्तम कहा जाता है |
(गुरु नानक जी के एक शबद में उपर्युक्त सुभाषित भावना को बडे ही
सुन्दर शब्दों में व्यक्त किया गया है :-
जो नर दुखमें दुख नहिं माने |
सुख -सनेह अरु भय नहिं जाके कंचन माटी जाने -
नहिं निंदा नहीं अस्तुति जाके , लोभ मोह अभिमाना |
हरष शोक तें रहै नियारो नाहिं मान -अपमाना |
काम-क्रोध जेहि परसै नाहिन, तेहि घट ब्रह्म निवासा |
गुरु किरपा जेहि नरपै कीन्ही तिन जुगति पिछानी |
नानक लीन भयो गोविन्द्सों ज्यों पानी संग पानी | )
Na prahrushyati sammane naapamaane ha kupyati.
Na kruddhah parusham brooyaat sa vai saadhootamah smrutah.
Na = not. Prahrushyati = be thrilled. Sammaane = honour.
Naapamaane = na + apamaane. Apamaane = insult. Cha = and.
Kupyati = becomes angry. Kruddham = angered. Parusham =
harsh (words) . Brooyaat = says. Sa = he. Vai = an adverb
placed after a word for laying stress on it. Saadhoottamah =
Best among the noble and virtuous persons. Smrutah = termed as.
i.e. A person who is not thrilled on being honoured and does not
become angry on being insulted. and if per chance becomes angry
does not use harsh and abusive language, is truly the best among
noble and virtuous persons.
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