कर्तव्यमेव कर्तव्यं प्राणैः कण्ठगतैरपि |
अकर्तव्यं न कर्तव्यं प्राणैः कण्ठगतैरपि || - महासुभषित संग्रह(८८५७)
भावार्थ - जो भी हमारा कर्तव्य है उस का पालन हमें प्राण कण्ठगत
(मृत्यु संकट उपस्थित होने की स्थिति) होने पर भी करना चाहिये ,
और जो निषिद्ध कार्य हैं उन्हें भी मृत्यु संकट उपस्थित होने पर भी
नहीं करना चाहिये |
(मृत्यु संकट उपस्थित होने की स्थिति) होने पर भी करना चाहिये ,
और जो निषिद्ध कार्य हैं उन्हें भी मृत्यु संकट उपस्थित होने पर भी
नहीं करना चाहिये |
Kartavyameva kartavyam praanaih kanthagatairapi.
Akartavyam na kartavyam praanaih kanthagatairapi.
Kartavyameva = kartavyam + aiva. Kartavyam = duty.
Aiva = really, surely. Kartavyam = do as a duty.
Pranaih = breathe of life. Kanthagatairapi = kanthagataih
+ api. Kanthagataih = reaching the throat i.e. imminent
death. Api = even. Akartavyam = any action which is
forbidden or should not be done. Na = not.
i.e. Whatever be our duty we should perform it even on the
face of a grave danger to our life, and likewise we should never
do any forbidden action even on a similar danger to our life.
Pranaih = breathe of life. Kanthagatairapi = kanthagataih
+ api. Kanthagataih = reaching the throat i.e. imminent
death. Api = even. Akartavyam = any action which is
forbidden or should not be done. Na = not.
i.e. Whatever be our duty we should perform it even on the
face of a grave danger to our life, and likewise we should never
do any forbidden action even on a similar danger to our life.
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