Tuesday, 14 February 2017

आज का सुभाषित / Today's Subhashita,


कर्तव्यमेव  कर्तव्यं प्राणैः कण्ठगतैरपि  |
अकर्तव्यं न कर्तव्यं प्राणैः कण्ठगतैरपि || - महासुभषित संग्रह(८८५७)

भावार्थ -  जो भी हमारा कर्तव्य है उस का पालन हमें प्राण कण्ठगत
(मृत्यु संकट उपस्थित होने की स्थिति)  होने पर भी करना चाहिये ,
और जो निषिद्ध कार्य हैं उन्हें भी मृत्यु संकट उपस्थित होने पर भी
नहीं करना चाहिये |

Kartavyameva kartavyam praanaih kanthagatairapi.
Akartavyam na kartavyam praanaih kanthagatairapi.

Kartavyameva = kartavyam + aiva.   Kartavyam = duty.  
Aiva = really, surely.    Kartavyam = do as a duty.
Pranaih = breathe of life.   Kanthagatairapi = kanthagataih
+ api.    Kanthagataih = reaching the throat i.e. imminent
death.    Api = even.   Akartavyam = any action which is
forbidden or should not be done.   Na = not.

i.e.      Whatever be our duty we should perform it even on the
face of a grave danger to our life, and likewise we should never
do any forbidden action even on a similar danger to our life.

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