Saturday, 11 March 2017

आज का सुभाषित / Today's Subhashita.


कस्योपयोगमात्रेण  धनेन  रमते  मनः  |
पदप्रमाणमाधारं आरूढः को न कम्पते  || -महासुभषितसंग्रह३२७०)

भावार्थ -   क्या  कोई ऐसा  व्यक्ति भी होगा जो  केवल धन का व्यय  
करने में ही आनन्दित होता है ?  और क्या कोई ऐसा भी व्यक्ति होगा
जो किसी अधिकार युक्त महत्त्वपूर्ण पद को प्राप्त करने पर भी अपने
कर्तव्य से नहीं डिगता है ?

( इस सुभाषित का तात्पर्य यह्  है कि  सभी व्यक्ति धन को मुक्त हस्त
से व्यय करने  में आनन्दित होते हैं  और बहुत कम्  व्यक्ति ही उच्च
पद और अधिकार पा कर भी भयभीत नहीं होते हैं और अपने कर्तव्य का
पालन करते हैं |)

Kasyopayogamaatrena dhanena ramate manah,
Pada-pramaana-maadhaaram aaroodhah ko na kampate.

Kasyopayogamaatrena = Kasya+upayog+maatrena.
Kasya = whose.   Upayoga = use.    Maatrena =  simply,
sheer.    Dhanena =   of money and wealth     Ramate =
enjoyed ,delighted.      Manah = mind, thought.   Pada =
post, position.   Pramaana= authority, limit.  Aadhaaram =
on the basis of.   Aaroodhah = having acquired, mounting.    
Ko = who ?    Na = not.    Kampate = shaken, tremble.

i.e.    Can there be such a person who is delighted only in
spending money and can there be a person, who , having
acquired a position of authority does not deviate (shaken)
from his duty ?

(The idea behind this Subhashita is that most people enjoy
spending their wealth, and very few people do not deviate
from their duty on acquiring a position of authority. )

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