राजा के विभिन्न कर्तव्यों का वर्णन करते हुए मनुस्मृति में कहा
गया है कि राजा को चाहिये कि वह अपने कर्मचारियों का वेतन
उनके कार्यों के अनुसार निर्धारित करे जिस से उन्हें अपने जीवन
यापन में कोई कथिनाई न हो और उन्हें उसके लिये कोई कुकर्म
(चोरी आदि) न करना पडे | यहां तक कि कर्मचारियों के अधिकतम
और न्यूनतम वेतन की सीमा भी निर्धारित की गयी है और उनके
हित में अनाज और वर्दी देने की भी व्यवस्था थी जैसा कि निम्नलिखित
श्लोक में व्यक्त है :-
पणो देयोSवकृष्ठस्य षडुत्कृष्टस्य केवलम् |
षान्मासिकस्तथाच्छादो धान्य द्रोणस्तु मासिकः || श्लोक ७/१२६
भावार्थ - निम्न श्रेणी के कार्य करने वालों को एक पण , उच्च
श्रेणी के कर्मचारियों को ६ पण (वेतन) प्रतिदिन राजा देवे | इसी
तरह प्रत्येक महीने में एक द्रोण परिमाण अनाज और प्रत्येक
छमाही में उनके योग्य वस्त्र भी राजा दिया करे |
(इस श्लोक में दृष्टव्य बात यह है कि अधिकतम और न्यूनतम वेतन
के बीच का अन्तर भी निर्धारित किया गया है तथा कर्मचारियों को
अनाज और और वर्दी देने की भी व्यवस्था की गयी है | )
Pano deyovakrushtasya shadutkrushtasy vetanam.
shaanmaasikastathaacchaado dhaanya deonastu maasikah.
I.e. The king should give a salary of one 'Pana' (a unit of
money) to the servants doing menial duties and 6 'Panas' per
day to the servants doing duties of higher level. He should also
give one 'Drona' (measure of foodgrains) foodgrains to them
every month and every half-year give them suitable uniforms,
(What is noteworthy in the above 'shloka; is that besides
prescribing reasonable salary to the employees so that they are
able to meet their needs and do not resort to unfair means to earn
more, the gap between the maximum and minimum salary has
and other measures like monthly food aid and suitable uniforms
to be provided every half-year have been prescribed.)
गया है कि राजा को चाहिये कि वह अपने कर्मचारियों का वेतन
उनके कार्यों के अनुसार निर्धारित करे जिस से उन्हें अपने जीवन
यापन में कोई कथिनाई न हो और उन्हें उसके लिये कोई कुकर्म
(चोरी आदि) न करना पडे | यहां तक कि कर्मचारियों के अधिकतम
और न्यूनतम वेतन की सीमा भी निर्धारित की गयी है और उनके
हित में अनाज और वर्दी देने की भी व्यवस्था थी जैसा कि निम्नलिखित
श्लोक में व्यक्त है :-
पणो देयोSवकृष्ठस्य षडुत्कृष्टस्य केवलम् |
षान्मासिकस्तथाच्छादो धान्य द्रोणस्तु मासिकः || श्लोक ७/१२६
भावार्थ - निम्न श्रेणी के कार्य करने वालों को एक पण , उच्च
श्रेणी के कर्मचारियों को ६ पण (वेतन) प्रतिदिन राजा देवे | इसी
तरह प्रत्येक महीने में एक द्रोण परिमाण अनाज और प्रत्येक
छमाही में उनके योग्य वस्त्र भी राजा दिया करे |
(इस श्लोक में दृष्टव्य बात यह है कि अधिकतम और न्यूनतम वेतन
के बीच का अन्तर भी निर्धारित किया गया है तथा कर्मचारियों को
अनाज और और वर्दी देने की भी व्यवस्था की गयी है | )
Pano deyovakrushtasya shadutkrushtasy vetanam.
shaanmaasikastathaacchaado dhaanya deonastu maasikah.
I.e. The king should give a salary of one 'Pana' (a unit of
money) to the servants doing menial duties and 6 'Panas' per
day to the servants doing duties of higher level. He should also
give one 'Drona' (measure of foodgrains) foodgrains to them
every month and every half-year give them suitable uniforms,
(What is noteworthy in the above 'shloka; is that besides
prescribing reasonable salary to the employees so that they are
able to meet their needs and do not resort to unfair means to earn
more, the gap between the maximum and minimum salary has
and other measures like monthly food aid and suitable uniforms
to be provided every half-year have been prescribed.)
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