Monday, 19 June 2017

आज का सुभाषित / Today's Subhashita..

संस्कृत साहित्य में एक विधा 'अन्योक्ति ' कहलाती है जिस के अन्तर्गत किसी
तथ्य को एक अन्य माध्यम से व्यक्त किया जाता है |   अंग्रेजी भाषा मे इसे
'allegory' कहते हैं |   मेघाSन्योक्ति , चातकान्योक्ति , शुकान्योक्ति , काकान्योक्ति
आदि अनेक प्रकार की अन्योक्तियां हैं|  उदाहरण स्वरूप भतृहरि के नीतिशतक की
यह अन्योक्ति जो चातकान्योक्ति  का सुन्दर उदाहरण है :-

          रे रे चातक सावधानमनसा मित्रं  क्षणं  श्रूयता -
          म्म्भोदा  बहवो वसन्ति गगने सर्वेSपि  नैतादृशा |
          केचिद्वृष्टिभिरार्द्रयन्ति   धरणीं गर्जन्ति केचिद्वृथा
          यंयं  पश्यसि तस्यतस्य पुरतो  मा ब्रूहि दीनं वचः ||


भावार्थ -   ओ मेरे मित्र चातक पक्षी !  मेरी यह बात ध्यानपूर्वक सुनो  | इस आकाश में
अनेक प्रकार के मेघ (बादल) विचरण करते हैं पर वे एक ही स्वभाव के नहीं होते हैं
उनमें से  कुछ ही इस पृथ्वी को अपने अमूल्य जल से परिपूर्ण करते हैं  जब् कि अन्य
केवल व्यर्थ ही गर्जते हुए  इधर उधर विचरण करते हैं |  इस लिये तुम जिस  किसी भी मेघ
को देखते हो उस से अपनी प्यास बुझाने के लिये याचना  मत करो |

( ऐसी मान्यता है कि चातक पक्षी स्वाति नक्षत्र में हुई वृष्टि का ही जल पीता है और अन्यथा
प्यासा ही रह जाता है | इस श्लोक मे  सहायता के आकांक्षी व्यक्ति की तुलना एक चातक पक्षी
से की गयी है और जिन से सहायता अपेक्षित है उनकी तुलना बादलों से की गई है |  कुछ व्यक्ति
मात्र आश्वासन ही देते रहते हैं और बहुत थोडे व्यक्ति ही होते हैं जो वास्तव में सहायता करते है |
अतः  हर किसी से याचना करने से कोई लाभ नहीं होता है |  कहावत भी है कि - 'जो गरजते हैं 'वे
बरसते नहीं हैं  | )

Re re chaatak saavadhaana-manasaa mitram kshanam shrooytaa-
mambhda   bahavo vasanti  gagane sarvopi naitaadrushaa.
kechid-vrushtibhi-raardrayanti dharanee garjanti kechit-vruthaa.
yam yam pashyasi tasya tasya purato  maa broohi deenam vachh.

Re = Oh !   Chaataka = an Indian bird.   Saavadhaana = attentively.   Manasaa = mind.
Mitram = friend.   Kshanam = for a moment.   Shrooyataam =  listen.    Ambodaa=
clouds.    Bahavo = many    Vasanti = live, roam.   Gagane = in the Sky.   Sarvopi=
Sarvo = all.   Api = even.   Naaitaadrushaa =  Na + etaadrushaa.    Na =  not.
Etaadrusha = similar to others.     Kechit = some among them.  Vrushtibhih +
by causing rain.  Aardrayanti = moisten, drench.   Dharanee = the Earth.   Garjanti +
roar, make rumbling sound.   Vruthaa = in vain, unnecessarily.   Yam = whosoever.
Pashyasi = sees.   Tasya = his .   Purfato = in front of .   Maa = do not.  Bhrrohi =
speak, say.   Deenam = sad.    Vachah = words, speech.


i.e.    O my friend  Chatak bird !  listen  carefully what I say to you.  Many types of
clouds roam in the sky but their characteristics are different.  Only a few among them
drench the Earth with the precious water they carry, whereas the remaining ones roam
here and there and simply make rumbling sound.  Therefore, you should not beg for
water from every cloud you see on the sky.

(In Sanskrit literature there is a style of writing called 'Anyokti' , which in English;
language is called  'allegory'  i.e. description of one thing under image of another.
The above shloka is a fine example of this genre.   There is a folk lore that the Chatak
bird quenches its thirst only from the rain falling on earth during a particular  lunar
position in the sky.  Here the bird has been alluded for a person seeking assistance  and
the persons who can help him has been alluded for the clouds.  Only very few people are
of helping nature and the rest simply give assurances and never give any help .)



   
     



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