Wednesday, 21 June 2017

आज का सुभाषित / Today's Subhashita.


            आज 'काकान्योक्ति' का एक उदाहरण प्रस्तुत है :-
             
            तुल्यवर्णच्छदः  कृष्णः कोकिलैः सह संगतः   |
            केन  विज्ञायते  काकः  स्वयं  यदि  न  भाषते  || - शार्ङ्गधर

भावार्थ -   एक कव्वे और कोयल के शरीर की बनावट और   पंखों का
रंग एक समान  काला ही होता है और वे एक  साथ ही  रहते हैं  |  यदि
कव्वा  स्वयं नहीं बोले तो  कोयल  और कव्वे में भेद कौन कर सकता  है  ?

(कव्वा अपनी कर्कश ध्वनि  और कोयल अपनी मधुर ध्वनि के लिये
प्रसिद्ध हैं |   बाहरी रूप रंग दोनों का एक समान होने के कारण  उनमें
भेद् करना कठिन होता है  |  परन्तु कव्वे की कर्कश ध्वनि और कोयल  
की मधुर ध्वनि से  उन्हें पहचानना सरल हो जाता है |  यदि किसी मूर्ख
व्यक्ति को एक  विद्वान व्यक्ति के परिधानों से अलंकृत कर दिया जाय
तो लोग उसे तभी तक विद्वान समझेंगे जब् तक वह कुछ बोलेगा नहीं |
जैसा कि एक अन्य सुभाषित में कहा है कि -'तावच्च शोभते मूर्खः यावत्
किञ्चिन्न भाषते ' |  अर्थात  एक मूर्ख  व्यक्ति तभी तक सुशोभित होता
है जब तक वह कुछ बोलता नहीं है | तात्पर्य यह है बाहरी चमक धमक की
तुलना में गुणों की ही मान्यता अन्ततः होती है |)

              Tulya-varnacchadah krushnah kokilaih saha smgatah.
               Kena vigyaayate kaakh svayam  yadi  na  bhaashate,

Tulya = similar,  equal to.      Varnacchada = colour of feathers and
outward appearance.    Krushnah = black.    Kokilaih = cuckoo bird.
Saha = with.     Sangatah = association, friendship    Kena = how ?
in what way ?     Vigyaayate = distinguish.     Kaakah =  a crow.
Svayam = himself.    Yadhi = if.    Na = not.    Bhaashate = speaks.

i.e.    The outward appearance of a Crow and a Cuckoo bird and the
colour of their feathers is the same and they also live together.  So ,
who can  distinguish between them unless the crow himself does
not speak ?

(A crow is known for its very harsh voice and the cuckoo bird for
its very sweet voice. They can be distinguished only by their voice.
If a foolish person is presented in the attire of a scholar, people may
treat him as a scholar. But as soon as he utters some thing foolishly
his true worth is exposed.   The underlying idea is that in contrast to
outwardly appearance the inherent virtues in a person are important.)

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