आज अन्योक्ति का एक और उदाहरण 'सिंहान्योक्ति' प्रस्तुत है जिस में
सिंह को तेजस्विता के एक उपमान के रूप में प्रस्तुत किया गया है :-
सिंहः शिशुरपि निपतति मदमलिनकपोलभित्तिषु गजेषु |
प्रकृतिरियं सत्ववतां न खलु वयस्तेजसो हेतुः || -भर्तृहरि
भावार्थ - एक सिंह शावक भी बिना किसी भय और झिझक के एक मद मस्त
हाथी के दीवार के समान बडे और गन्दे कपोलों पर कूद कर आक्रमण कर देता है
क्यों कि यह शक्तिशाली और पराक्रमी जीवों का स्वभाव होता है न कि उनकी
आयु और शक्ति पर निर्भर करता है |
(एक सिंह शावक को उपमान बना कर इस अन्योक्ति द्वारा यह प्रतिपादित किया
गया है कि वीरता और पराक्रम स्वभावगत होते हैं और उन का किसी व्यक्ति की
आयु और शक्ति से कोई सम्बन्ध नहीं होता है |)
Simhah sishurapi nipatati mada-malina-kapol-bhittishu gajeshu.
Prakruiriyam satvavataam na khalu vayastejaso hetuh.
Simhah = a lion. Shishurapi = shishuh+ api. Shishuh = a cub (child)
Api = even. Nipatati = attacks. Mada = rut (periodical sexual excitement
of animals) Malin = dirtied. Kapol = cheek. Bhittishu = like a wall.
Prukritiriyam = prukriti + iyam. Prukriti = nature, temperament.
Iyam = this. Satvavataam = powerful and courageous persons. Na khalu
= not at all, Vayastejaso =Vayah + tejaso. Vayah = age. Tejaso =
power. Hetuh = reason.
i.e. Even a cub of a Lion fearlessly and unhesitatingly attacks the wall like
dirtied cheeks of a sexually aroused Elephant . This is due to the inherent
nature of powerful and courageous living beings and not at all due to their
age and strength.
(In this Subhashita the bravery and courage of a lion's cub has been used as an
analogy to emphasize the fact that bravery and power are inherent in certain
species and not in their age and strength.)
सिंह को तेजस्विता के एक उपमान के रूप में प्रस्तुत किया गया है :-
सिंहः शिशुरपि निपतति मदमलिनकपोलभित्तिषु गजेषु |
प्रकृतिरियं सत्ववतां न खलु वयस्तेजसो हेतुः || -भर्तृहरि
भावार्थ - एक सिंह शावक भी बिना किसी भय और झिझक के एक मद मस्त
हाथी के दीवार के समान बडे और गन्दे कपोलों पर कूद कर आक्रमण कर देता है
क्यों कि यह शक्तिशाली और पराक्रमी जीवों का स्वभाव होता है न कि उनकी
आयु और शक्ति पर निर्भर करता है |
(एक सिंह शावक को उपमान बना कर इस अन्योक्ति द्वारा यह प्रतिपादित किया
गया है कि वीरता और पराक्रम स्वभावगत होते हैं और उन का किसी व्यक्ति की
आयु और शक्ति से कोई सम्बन्ध नहीं होता है |)
Simhah sishurapi nipatati mada-malina-kapol-bhittishu gajeshu.
Prakruiriyam satvavataam na khalu vayastejaso hetuh.
Simhah = a lion. Shishurapi = shishuh+ api. Shishuh = a cub (child)
Api = even. Nipatati = attacks. Mada = rut (periodical sexual excitement
of animals) Malin = dirtied. Kapol = cheek. Bhittishu = like a wall.
Prukritiriyam = prukriti + iyam. Prukriti = nature, temperament.
Iyam = this. Satvavataam = powerful and courageous persons. Na khalu
= not at all, Vayastejaso =Vayah + tejaso. Vayah = age. Tejaso =
power. Hetuh = reason.
i.e. Even a cub of a Lion fearlessly and unhesitatingly attacks the wall like
dirtied cheeks of a sexually aroused Elephant . This is due to the inherent
nature of powerful and courageous living beings and not at all due to their
age and strength.
(In this Subhashita the bravery and courage of a lion's cub has been used as an
analogy to emphasize the fact that bravery and power are inherent in certain
species and not in their age and strength.)
Namaste Mahodaya,
ReplyDeleteIn your subhashita's include Sanskrit bhavartha also.
Thanks. HELPFUL A LOT
ReplyDeleteHelpful really
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