नालेनेव स्थित्वा पादेनैकेव कुञ्चितग्रीवम्
जनयति कुमुदभ्रान्ति वृद्धबको बालमत्स्यानाम् || - शार्ङ्धर
भावार्थ - जल में एक ही पांव पर बिल्कुल स्थिर खडे हो कर
तथा अपनी गर्दन मोड कर एक चालाक बगुला पक्षी छोटी छोटी
मछलियों में यह भ्रम उत्पन्न कर देता है कि वह कमल पुष्प कीआ
नाल है (और बगुला उन्हें आसानी से अपना शिकार बना लेता है ) |
(कपट पूर्वक अच्छा वेष धारण कर जब कोई व्यक्ति किसी अन्य
व्यक्ति को मूर्ख बना कर छलता है तो ऐसे व्यक्ति को बगुला भगत
कहा जाता है | अतः इस अन्योक्ति के द्वारा एक चेतावनी दी गयी
है | तुलसीदास जी ने भी कहा है कि - 'तुलसी देखि सुवेषु भूलहिं मूढ
न चतुर नर | सुन्दर केकिहि पंख वचन सुधा सम असन अहि ||
Naaleneva sthitvaa paadenaikena kunchitgreevam.
Janayati Kumuda-bhraanti vruddha-bako baala-matsyaanaam.
Naaleneva = naalen + iva. Naalena = a hollow stock (stem)
of a lotus flower. Iva = like a Paadenaikena = paadena +
ekena. Paadena = leg. Ekena = one only. Kunchitagreevam=
curved neck, Janayati = creates. Kumuda = a lotus flower.
Bhraaanti = false impression of . Vruddha = an aged Bako =
a Crane bird. Baala matsyaanaam = small and young fish.
i.e. By silently standing in water one one leg only with a curved
neck, a crane bird creates a false impression in the minds of small
fish that it is the stem of a lotus flower (and ultimately are caught
and devoured by the crane) .
( Whenever a person with a view to cheating other persons puts
an attire of a virtuous person, such a person is alluded to a crane .
So, this 'anyokti' is a warning against such a person.)
जनयति कुमुदभ्रान्ति वृद्धबको बालमत्स्यानाम् || - शार्ङ्धर
भावार्थ - जल में एक ही पांव पर बिल्कुल स्थिर खडे हो कर
तथा अपनी गर्दन मोड कर एक चालाक बगुला पक्षी छोटी छोटी
मछलियों में यह भ्रम उत्पन्न कर देता है कि वह कमल पुष्प कीआ
नाल है (और बगुला उन्हें आसानी से अपना शिकार बना लेता है ) |
(कपट पूर्वक अच्छा वेष धारण कर जब कोई व्यक्ति किसी अन्य
व्यक्ति को मूर्ख बना कर छलता है तो ऐसे व्यक्ति को बगुला भगत
कहा जाता है | अतः इस अन्योक्ति के द्वारा एक चेतावनी दी गयी
है | तुलसीदास जी ने भी कहा है कि - 'तुलसी देखि सुवेषु भूलहिं मूढ
न चतुर नर | सुन्दर केकिहि पंख वचन सुधा सम असन अहि ||
Naaleneva sthitvaa paadenaikena kunchitgreevam.
Janayati Kumuda-bhraanti vruddha-bako baala-matsyaanaam.
Naaleneva = naalen + iva. Naalena = a hollow stock (stem)
of a lotus flower. Iva = like a Paadenaikena = paadena +
ekena. Paadena = leg. Ekena = one only. Kunchitagreevam=
curved neck, Janayati = creates. Kumuda = a lotus flower.
Bhraaanti = false impression of . Vruddha = an aged Bako =
a Crane bird. Baala matsyaanaam = small and young fish.
i.e. By silently standing in water one one leg only with a curved
neck, a crane bird creates a false impression in the minds of small
fish that it is the stem of a lotus flower (and ultimately are caught
and devoured by the crane) .
( Whenever a person with a view to cheating other persons puts
an attire of a virtuous person, such a person is alluded to a crane .
So, this 'anyokti' is a warning against such a person.)
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