परोपदेश वेलायां शिष्टाः सर्वे भवन्ति वै |
विस्मरन्तीव शिष्टत्वं स्वकार्ये समुपस्थिते ||
भावार्थ - अन्य व्यक्तियों को उपदेश देते समय सभी लोग विनम्र
और शिष्ट व्यवहार करते हैं | परन्तु वह सारा शिष्टाचार और उपदेश
वे भूल जाते है जब् स्वयं उन्हें वही कार्य करना होता है |
( इसी भावना को गोस्वामी तुलसीदास जी ने इस चौपाई में बडी ही
सुन्दरता से व्यक्त किया है -
"पर उपदेश कुशल बहुतेरे | जे आचरहिं ते नर न घनेरे | "
Paropadesha vlaayaam shishthaah sarv bhavanti vai.
Vismaranteeva shishthatvam svakaarye samupasthite.
Paropadesha = giving advice or instructions to others.
Velaayaam = at the time of. Shishthaah = polite.
Sarve = all , Bhavanti =become. Vismaranteeya =
forget. Shishtatvam = politeness. Svakaarye =
one's own work or job. Samupasthite = arisen.
i.e. While giving advice to others people behave politely,
but when a situation arises where they have to follow the
same advice they conveniently forget it.
Good work joshi ji .. regards .
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