Saturday, 21 October 2017

आज का सुभाषित / Today's Subhashita.


गुणिनि गुणज्ञो रमते  नाSगुणशीलस्य  गुणिनि परितोषः  |
अलिरेति  वनात्पद्मं   न  दर्दुरस्त्वेकवासोSपि ||
                                        - सुभाषित रत्नाकर (शार्ङ्गधर )

भावार्थ -    गुणवान व्यक्ति अन्य व्यक्तियों के गुणों को देख कर
आनन्दित होते हैं , परन्तु गुण रहित व्यक्तियों को दूसरों के गुणों
को देख कर कोई प्रसन्नता नहीं होती है | देखो तो ! एक  मधु मक्खी
वन में  खिले हुए कमल पुष्पों से  उनका पराग प्राप्त करने के लिये
स्वयं उनके पास चली जाती है , परन्तु  मेंढक एक ही स्थान पर बने
रहते हैं |

(इस सुभाषित में गुणवान व्यक्तियों की तुलना मधुमक्खियों से
तथा गुणहीन व्यक्तियों की तुलना मेंढकों से की गयी है | गुणवान
व्यक्तियों को अन्य व्यक्तियों के गुणों को स्वीकार करने  मे कोई
संकोच नहीं होता है , यही इस सुभाषित में निहित भावना है  |)

Gunini gunagyo  ramate naagunasheelasya  gunini paritoshah.
Alireti vanaatpadmam  na dardurastvekavaasopi.

Gunini = virtues, quality.    Gunagyo= a virtuous person.
Ramate = pleased, rejoice at.    naaguna
on sheelasya=  naa +
agunasheelasya.    Naa = not.    Agunasheelasya = a worthless
person's    Paritoshah = delight in.    Alireti = alih +eti.    Ali=
a  bee.    Eti = arrives.   Vanaatpadmam =  vanaat + padmam.
Vanaat = of the forest.   Padmam =lotus flowers.   Na = not.
Dardurastvekavaasopi =  dardurah + tu +ekavaaso + api.
Dardurah = a frog.   Tu = but.   Ekavaaso = living  on the same
place.     Api = even.

i.e.      Virtuous persons always feel rejoiced on seeing the
virtues of others, whereas  worthless persons are never happy
on seeing the virtues on others.   Look !  how a bee moves
around a forest to collect the nectar from Lotus flowers in a
forest, whereas frogs remain confined at one place.

(In this Subhashita virtuous persons have been alluded to bees
and lotus flowers, whereas worthless persons having no virtues
have been alluded to frogs. The idea behind it is that virtuous
persons do not hesitate to emulate the virtues in others.) 

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