उदीरितोSर्थः पशुनाSपि गृह्यते हयाश्च नागाश्च वहन्ति नोदिताः |
अनुक्तमप्यूहति पण्डितो जनः परेङ्गितज्ञानफला हि बुद्धयः ||
-(स्फुट) सुभाषित रत्नाकर
भावार्थ - उत्तेजित और प्रेरित किये जाने पर घोडे हाथी आदि पशु भी
उनको दिये गये निर्देशों का मन्तव्य समझ जाते हैं और तदनुसार आज्ञा
पालन कर भार वहन करते हैं | परन्तु एक विद्वान तथा चतुर व्यक्ति उसे
अन्य व्यक्तियों द्वारा दिये गये निर्देशों के परिणामो पर विचार करने के
पश्चात अनुकूल परिणाम होने की स्थिति में ही उनका पालन करता है |
(प्रस्तुत सुभाषित 'विद्वत्प्रशंसा' शीर्षक के अन्तर्गत संकलित है | इसका
तात्पर्य यह है पशु तो बिना किसी तर्क के उन्हें दी गयी आज्ञा का पालन करते
हैं | परन्तु एक विद्वान और चतुर व्यक्ति उसे दी गयी आज्ञा के परिणाम पर
अच्छी तरह विचार करने के बाद ही तभी कार्य करता है कि जब उसका परिणाम
अनुकूल हो | )
Udeeritorthah pashunaapi gruhyate hayaashcha naagaashcha
vahanti noditaah.
Anuktamapyoohati pandito janah parengitagyaaanaphalaa hi
buddhayh.
Udeeritorthah= udeerito+ arthah. Udeerito = uttered, said.
Api = even. Arthah=meaning. Pashunaapi = pashuna+ api.
Pashunaa = animals. Gruhyate= acknowledge, understand.
Hayaashcha = horses. Naagaashcha + elephants. Vahanti =
bear, Nodita = incited. Anuktamapyoohati= anuktam+
apyoohati. Anuktam=spoken after. Apyoohati = deliberates.
Pandito janah= a learnedperson. Parengitagyaanabhalaa =
para+ingita+gyaan+phalaa. Para =others. Ingita =pointed.
Gyaana =sayings. Phalaa = consequences. Hi = surely .
Buddhayh = enlightened and cleaver persons.
i.e. On being goaded and incited animals like Horses and
elephants obey the command given to them by their masters and
carry heavy loads. But a learned and wise person on being
asked to perform a task does it only after much deliberations,
provided it is feasible.
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