धवलयति समग्रं चन्द्रमा जीवलोके
किमिति निजकलङ्कं नात्मसंस्थं प्रमार्ष्टि |
भवति विदितमेतत्प्रायशः सज्जनानां
परहितनिरतानामादरो नाSSत्मकार्ये || -सुभाषित रत्नाकर (शार्ङ्गधर)
भावार्थ - चन्द्रमा समग्र विश्व को अपनी ज्योति से प्रकाशित कर देता है
परन्तु फिर अपने कलङ्क को स्वयं ही क्यों मिटाता है ? इसी प्रकार प्रायः
यह देखा गया है कि परोपकार् करने मे व्यस्त सज्जन व्यक्तियों को भी
उनके द्वारा किये गये कार्यों के लिये समुचित आदर प्राप्त नहीं होता है |
(यह अलग बात है कि सज्जन व्यक्ति आदर और सम्मान प्राप्त करने की
भावना से सेवा कार्य नहीं करते हैं )
(चन्द्रमा को देखने पर उसके ऊपर काले धब्बे दिखाई देते हैं , जिन्हें कवियों
ने 'कलङ्क' का उपनाम दिया है | पूर्ण चन्द्र की तुलना स्त्रियों के सुन्दर् मुख
से भी की जाती है | इस सुभाषित में चन्द्रमा की तुलना परोपकारी और सज्जन
व्यक्तियों से की गयी है | जिस प्रकार चन्द्रमा को सारे विश्व को प्रकाशित करने
पर भी अपने धब्बों के कारण आदर प्राप्त नहीं होता है उसी प्रकार सज्जन व्यक्ति
भी परहित के कार्य समाज से आदर प्राप्त करने की भावना /अपेक्षा से नहीं करते हैं | )
Dhavalayati samagram chandramaa jeevaloke.
Kimiti nijakalankam naatmasmstham pramaarshti.
Bhavati viditmetatpraayashah sajjanaanaam.
Parahita nirataanaamaadaro naatmakaarye.
Dhavalayati = illuminates. Samagram = whole, entire. Chandrama=
the Moon. Jeevaloke = this World. Kimiti = why ? Nija = his own.
Kalankam = stain, blot. Naatmasmsthyam = Na + aatma +smsthyam.
Na = not. Aatma = self. Sanstham = presence. Pramaarshti = wipe .
Bhavati =happens. Viditmetatpraayashah = viditam + etat + praayasho.
Viditam = known. Etat = this. Praayashah = mostly, as a general rule.
Sajjanaanaam = noble persons. Parahitanirataanaamaadaro =paraahita
=nirataanaam +aadaro. Parahita = for the welfare of others. Aadaro =
regard, respect. Nirataanaam = persons engaged in. Naatmakaarye =
na + aatmakaarye. = one's own duty.
i.e. The Moon illuminates the whole World by its radiance, but why it
is destined to wipe its dark spots himself ? Similarly, it is observed that
noble and righteous persons who are engaged in the welfare of society are
not given due respect for the work done by them, (It is another matter that
they do such work without expecting any reward or respect.)
(In Sanskrit literature the dark spots on the Moon's surface and its brightness
are frequently used as a metaphor for the face of beautiful women and their
blemishes. In this Subhashita noble and righteous persons have been compared
with the Moon. Noble persons also do not get full credit of their philanthropic
work just like the Moon. )
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