Sunday, 28 January 2018

आज का सुभाषित / Today's Subhashita.


अनुसरति करिकपोलं भ्रमरः श्रवणेन ताड्यमानोSपि  |
गणयति  न  तिरस्कारं  दानन्धविलोचनो  नीचः        ||
                                                  - सुभाषित रत्नाकर

भावार्थ -     जिस प्रकार एक  हाथी के कपोलों के ऊपर मंडराता हुआ एक
भ्रमर  हाथी द्वारा अपने बडे बडे कानों से उसके ऊपर बारंबार प्रहार करने
पर भी उसका पीछा नहीं छोडता है , वैसे ही एक दान पाने की उत्कट इच्छा
से  अन्धे व्यक्ति के समान आचरण करने  वाला नीच व्यक्ति  भी उसको
तिरस्कृत किये  जाने पर कोई ध्यान  नहीं देता है और दान दाता का पीछा
नहीं  छोडता है |

(हाथी के कपोलों से एक प्रकार का द्रव निकलता है जिस मद कहते हैं | उस
की  गन्ध से आकर्षित होकर भंवरे उसे पीने के लिये हाथी के सिर पर मंडराते
रहते हैं और उसका पीछा नहीं छोडते है |  इसी  व्यवहार को एक उपमा के रूप
में भिखारियों का एक दान दाता का पीछा करने  की प्रवृत्ति को उजागर करने
के लिये किया गया है |)

Anusarati karikapolam bhramarah shravanena taadyamaanopi.
Ganayati na tiraskaaram daanaandhavilochano neechah.

Anusarati = goes after.    Kari = an elephant.   Kapolam = cheek.
Bhramarah = a kind of bumble bee.     Shravanena = by the ears.
Taadyamaanopi = Taadyamaano + api.    Taadyamaano = on being
struck.    Api = even.     Ganayati =  takes  notice of.    Na= not.
Tiraskaaram = contempt.    Daanaandhavilochano = daan+ andha +
vilochano.    Daana = donation, giving away as charity.   Andha =
blind.    Vilochano = eyes.    Neeechah = a wicked and mean person.
             

i.e.     A bumble bee  hovering over the cheeks of an elephant (in rut)
goes after the elephant in spite of the elephant hitting it  repeatedly
with its large ears.    In  the same manner mean and wicked  persons
blinded by their desire  to get alms from the rich persons also do not
take any notice of the contempt shown towards them by the rich donor.

(When an elephant is in rut a fluid flows from its cheeks, which attracts
swarms of bumble bees. This phenomenon has been used as a simile for
the behaviour of beggars towards their donors. )

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