तस्येवाSभ्युदयो भूयाद्भानोर्यस्योदये सति |
विकासभाजो जायन्ते गुणिनः कमलाकराः ||
- सुभाषित रत्नाकर (शार्ङ्गधर )
भावार्थ - सूर्य के उदय होने के पश्चात जैसे जैसे उसके तेज
की वृद्धि होती है कमल पुष्प विकसित हो जाते हैं और गुणवान
व्यक्तियों के ऐश्वर्य की भी वृद्धि होती है |
(प्रस्तुत सुभाषित 'सूर्यान्योक्तयः' शीर्षक के अन्तर्गत संकलित
है || लाक्षणिक रूप से इसका तात्पर्य यह है कि एक महान शासक
के राज्य में गुणवान व्यक्तियों का समुचित विकास उसी तरह होता
है जैसे सूर्य उदय होने पर कमल विकसित हो जाते हैं | यहां सूर्य राजा
का प्रतीक है | )
Tasyevaabhyudayo bhooyaadbhaanoryasyodaye sati.
Vikaasabhaajo jaayante guninah kamalaakaraah.
Tasyevaabhyudayo = tasya+ eva+ abhyudayo, Tasya =
his. Eva = really, thus. Abhyudayo = elevation, rise.
Bhooyaadbhaanoryasyodayo = bhooyaat + bhaanoh +
ysya +udaye. Bhooyaat = happen. Bhaanoh = the Sun.
Yasya = whose. Udaye = rising. Sati = truly. Vikaasa =
advancement. Bhaajo = eligible, entitled for . Jaayante =
become. Guninah = noble and virtuous persons.
Kamalaakaraah =lotus flowers.
i.e. The sun's brightness and intensity gradually increases
after its rising in the morning causing the lotus flowers to
bloom and advancement in the status of noble and virtuous
persons.
(The above Subhashita is an "Anyokti" (allegory) The Sun
symbolises a virtuous ruler, under whose rule noble and
virtuous persons prosper like lotus flowers under the bright
Sun.)
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