Saturday, 10 March 2018

आज का सुभाषित / Today's Subhashita.


पद्मे  मूढजने  ददासि  द्रविणं  विद्वत्सु किं मत्सरो
नाSहं  मत्सरिणी  न चाSपि  चपला नैवाSस्ति  मूर्खे रतिः |
मूर्ख्रेभ्यो द्रविणं ददामि नितरां  तत्कारणं श्रूयतां
विद्वान्सर्वजनेषु  पूजिततनुर्मूर्खस्य  नाSन्या गतिः    ||
                                     - सुभाषित रत्नाकर (सभा तरंग )

भावार्थ -  ओ  देवी लक्ष्मी !  तुम मूर्ख व्यक्तियों को तो धन संपत्ति प्रदान
करती हो परन्तु विद्वानो को क्या इस लिये प्रदान नहीं करती हो कि वे दुष्ट
होते हैं  ?
             अरे मानव !  न तो में दुष्ट हूं  और न ही चञ्चल स्वभाव की हूं  और
न मुझे मूर्ख व्यक्ति प्रिय हैं |  मूर्खों को मैं क्यों धनवान बनाती हूं इसका कारण
सुनो |  विद्वान व्यक्तियों को  तो सभी लोग पूजते हैं , परन्तु मूर्ख व्यक्तियों
का आदर धनवान होने के अतिरिक्त किसी अन्य कारण से नहीं हो सकता है |

 (प्रस्तुत सुभाषित  'लक्ष्मीस्वभाव ' शीर्षक के अन्तर्गत संकलित है | संस्कृत
साहित्य में यह धारणा है कि विद्वान व्यक्ति धनवान नहीं  होते है तथा धनवान
व्यक्ति विद्वान नहीं होते हैं |  धन संम्पत्ति की अधिष्ठात्री देवी लक्ष्मी को 'चञ्चला'
भी कहा जाता है क्यों कि वह किसी भी व्यक्ति के पास सदैव बनी नहीं रहती है |
इसी भावना को इस सुभाषित में व्यक्त गया है |  )

Padme mooadhajane dadaasi dravinam vidvatsu kim matsaraa.
Naaham matsarinee na chaapi chapalaa naivaasti moorkhe ratih.
Moorkhebhyo dravidam dadaami nitaraam tatkaaranam shrooyataam.
Vidvaan-sarvajaneshu poojitatanurmoorkhasya naanyaa gatih.

Padme = another name of Goddess Lakshmi.   Moodhajane = stupid
persons.   Dadaasi = gives.   Dravinam = wealth.   Vidvatsu = learned
pesons,     Kim = why ?    Matsaraa = wicked persons.   Naaham =
Na + aham.   Na= not.   Aham = I (myself)    Matsarinee = a wicked
woman.   Chaapi= cha+api.   Cha = and.   Api - even.   Chapalaa =
fickle minded.    Naivaasti = naiva+asti.    Naiva = no.   Asti =is , am
Moorkhe= stupid person.    Ratih = love, affection.  Nitaraam = alwaays.
Tat= its .   Kaaranam = reason.  Shroyataam = listen.   Vidvaan = learned
person.  Sarvajaneshu = by all people.   Poojita = adored.  Tanuh = person
Naanyaa = na+ anyaa.   Anyaa = another.   Gatih = refuge. means.

i.e.     O Goddess Lakshmi !   You bestow riches to stupid persons, but not
to learned persons.  Is is due to the reason that  you consider learned persons
as wicked persons ?
           Listen my Son !   I am neither wicked and fickle minded  nor do I
love stupid persons.   The reason of my making stupid persons very rich is
that while noble and learned persons are  adored by all people, for stupid
persons there is no means other than being rich for being adored.

(This Suhashita is classified under the category 'the mentality of Goddess
Lakshmi' . In Sanskrit literature there is a notion that learned persons are
never rich and likewise rich persons are never learned.  It is further believed
that  riches do  not remain permanently with any body.  This is the underlying
idea behind this Subhashita.)


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