Sunday, 22 April 2018

आज का सुभाषित / Today's Subhashita.


यौवनं  धन  संपत्तिः  प्रभुत्वमविवेकता  |
एकैकमप्यनर्थाय  किमु  यत्र  चतुष्ठयम्  ||

भावार्थ  -   यौवन (जवानी), धन संपत्ति, प्रभुता (अधिकार)
तथा  अविवेकता (सही निर्णय लेने की क्षमता का  अभाव ),
इनमें से कोई एक ही अनर्थकर (हानि पहुंचाने में सक्षम) होता है |
यदि ये चारों  एक ही व्यक्ति  में उपस्थित हों  तो  भला वहांकैसी
परिस्थिति होगी ?

Yauvanam  dhana sampattih prabhutvamavivekitaa.
Ekaikamapyanarthaaya  kimu  yatra chatushthayam.

Yauvanam =  youth.    Dhana =money.      Sampattih=
wealth.   Prabhutvam + avivekataa.    Prabhutva  -
authority, power.    Avivekataa =   want of judgement,
indiscretion     Ekaikam +  api +  anarthaaya.
Ekaikam = each one .    Api = even.    Anarthaaya  =
disastrous , harmful.   Kimu =  what.   Yatra = where.
Chatushthayam = all  the four.

i.e.    Youth, wealth, power (authority) and  indiscretion ,
even any one of these  is capable of triggering a disaster.
If all these four traits are present in a person , then what
will be the situation there  ?


4 comments:

  1. यौवनं धन संपत्तिः प्रभुत्वमविवेकता |
    एकैकमप्यनर्थाय किमु यत्र चतुष्ठयम् ||

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  2. Real talk. It is much authentic.

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