Wednesday, 13 June 2018

आज का सुभाषित / Today's Subhashita.


संसारतापदग्धानां  त्रयो  विश्रान्ति  हेतवः  |
अपत्यं  च  कलत्रं  च  सतां संगतिरेव  च    ||
                             - चाणक्य नीति (४/१० )

भावार्थ -  इस संसार में जीवनयापन करने में उत्पन्न  मानसिक और 
शारीरिक कष्टों से त्रस्त लोगों को विश्राम देने के  ये तीन साधन  हैं -
(१) बच्चों के साथ  समय व्यतीत करना (२) अपनी पत्नी का साहचर्य 
तथा (३) सज्जन और गुणवान व्यक्तियों की संगति |

Sansaara- taapa- dagdhaanaam  trayo  vishraanti  hetavah.
Apatya cha  kalatram cha  sataam  smgatireva cha.

Sansaara = the World.   Taap = heat.   Dagdhaanaam = burnt.
tormented.   Trayo = three.   Vishraanti =  rest, relief.   Hetavah=  
cause.    Apatya = children.   Cha = and.     Kalatram = wife.   
Sataam =Noble and righteous persons.   Sangati = company.  

i.e.   For persons  tormented by the stresses of  making a living in 
this world, there are three means to get relief from them,  namely 
(i) spend time with children (ii)  enjoy companionship with your 
wife, and  (ii) association with noble and righteous persons.






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