Sunday, 17 June 2018

आज का सुभाषित / Today's Subhashita.


अपुत्रस्य गृहं शून्यं  दिशः शून्यास्त्वबान्धवाः  |
मूर्खस्य  हृदयं  शून्यं  सर्वशून्या  दरिद्रता        ||
                                - चाणक्य नीति  ( ४/१४ )

भावार्थ -   एक संतानहीन व्यक्ति का घर शून्य के समान (चहल पहल
से रहित) होता है तथा जिस व्यक्ति के स्वजन और बान्धव नहीं होते
हैं उसके लिये  चारों ओर रिक्तता (अकेलापन) ही रहती है |   एक मूर्ख
का हृदय ही शून्य (संवेदना रहित) होता है तथा दरिद्रता के कारण सर्वत्र
रिक्तता ही रिक्तता व्याप्त रहती है |

Aputrasya gruham shoonyam dishah shoonyastvabaandhavaah.
Moorkhasya  hrudayam shoonyam  sarvashoonyaa daridrataa,

Aputrasya = a person not having any children.   Gruham =  home.
Shoonyam = empty place, void.   Dishah =directions.  Shoonyah +
tu+abaandhavaah.    Tu = and, but.    Abaandhavaah = having no
relatives, lone persons.       Moorkhasya = a foolish person's .
Hrudayam = heart.     Sarva= all pervading.   Daridrataa = poverty.

i.e.    The home of a person not having any children is like  a void
(empty place) and for a lone person there is void in all directions.
The heart of a foolish person is also like a void  (insensitive), and
poverty is the all pervading void.

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