Friday, 22 June 2018

आज का सुभाषित / Today's Subhashita.


वित्तेन  रक्ष्यते  धर्मो  विद्या  योगेन  रक्ष्यते  |
मृदुना रक्ष्यते  भूपः  सत्स्त्रियां  रक्ष्यते गृहम्   ||
                                     -  चाणक्य नीति (५/९ )

भावार्थ -    धर्म की रक्षा धन के सदुपयोग से ही होती है तथा विद्या
की रक्षा उसके सतत उपयोग से होती है |  एक राजा(शासक) की रक्षा
(सेवा) नम्रतापूर्वक करनी चाहिये तथा एक घर (परिवार)की रक्षा उस
की साध्वी स्त्रियों के द्वारा ही होती है |

Vittena rakshyate  dharmo  Vidyaa yogena  rakshyate.
Mrudunaa rakshyate  bhoopah  satstriyaa rakshyate  gruham.

Vittena = by the wealth.   Rakshyate = is protected.   Dharmo=
the  Religion.   Vidyaa =knowledge.   Yogena =by application.
Mrudunaa =  gently.    Bhoopah= a King, a ruler.   satstriyaa=
Sat + striyaam.    Sat =  noble.     Striyam = women.     Gruham =
home.

i.e.    The religion gets protected by charitable use of wealth ,
and knowledge gets protected by its continuous use.  A king
must be  protected (served) very politely and gently, and  a
home gets protection  by its virtuous women family members.
             





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