Saturday, 7 July 2018

आज का सुभाषित / oday's Subhashita.


भ्रमन्सम्पूज्यते  राजा  भ्रमन्सम्पूज्यते  द्विजः  |
भ्रमन्सम्पूज्यते  योगी  स्त्री भ्रमन्ति  विनश्यति  | 
                                         - चाणक्य नीति (६/४ )

भावार्थ  -  जब कोई राजा भ्रमण (नये नये  स्थानों की यात्रा )
के लिये निकलता है तो वह सर्वत्र पूजा जाता है (उसका स्वागत
होता है ) | इसी प्रकार ब्राह्मण, क्षत्रिय और वैश्य वर्ण के लोगों
का तथा साधु  संतों  का भी उनके भ्रमण करने पर स्वागत होता
है | परन्तु यदि कोई स्त्री अकेले ही भ्रमण करने के लिये निकलती
है तो उसका नाश हो जाता है  |
(प्रस्तुत सुभाषित में तत्कालीन समाज की शासन व्यवस्था का
परोक्ष रूप से चित्रण किया गया है | उस समय भी स्त्रियों द्वारा 
अकेले भ्रमण करना असुरक्षित और वर्ज्य था ऐसा इस सुभाषित
से प्रतीत होता है | यह भी प्रतीत होता  है कि शूद्र वर्ण के व्यक्तियों
को भ्रमण के दौरान सम्मान प्राप्त नहीं होता था क्यों कि उनके
बारे में इस श्लोक में उनके बारे में कुछ भी नहीं कहा गया है | )

Bhramansampoojyate raajaa bhramansampoojyate dvijah.
Bhramansampoojyate  yogi   stree  bhramanti  vinashyati,

Bhramana + sampoojyate.    Bhraman = roaming about.
Sampoojyate =sam +poojyate.   Sam = a prefix to a word
meaning  thoroughly.    Poojyate = honoured.   Raaja =king.
Dvijah = a person of first three categories of four'Varnas'
of persons belonging to Sanaattana dharma, namely Brahmin,
Kshitriya and  Vaishya (leaving aside the Shoodra (lowest
category).    Yogi = an ascetic.   Stree = a woman.   Bhramati=
roams about.   Vinashyati = perishes, destroyed.

i.e.   When a king embarks upon a journey to distant and new
places he is honoured  every where, and similarly people of the
first three classes namely Brahmins, Kshatriyas and Vaishyaas,
as also ascetics (Yogis) also undertaking such journeys they too
are also honoured.  But if  a lone women does so, she will surely
perish.

( This Subhashita indirectly describes the then state of the Law and
order in the society i.e. it was not safe for a woman to roam around
alone. There is no mention of the fourth class namely Shoodra,
thereby implying that they were not respected.)

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