Monday, 2 July 2018

आज का सुभाषित / Today's Subhashita.


वरं  न  राज्यं  न कुराज राज्यं
वरं न मित्रं  न कुमित्र मित्रं  |
वरं न  शिष्यो  न कुशिष्य शिष्यो
 वरं न दारं   न  कुदारदारः  ||       चाणक्य नीति (६/१३)

भावार्थ - एक बुरी तरह शासित राज्य (देश) में निवास करने
से तो यही श्रेयस्कर है कि ऐसे  राज्य में रहा ही न जाय | एक
दुष्ट मित्र होने से तो यही श्रेयस्कर है कि कोई मित्र ही न हो |
एक गुरु के लिये अयोग्य शिष्यों को शिक्षित करने से तो यही
श्रेयस्कर है कि उसके कोई शिष्य ही न हों |  एक बुरी स्त्री  का
पति  होने से तो किसी व्यक्ति के लिये यही श्रेयस्कर है कि
उसकी कोई पत्नी ही न हो |

Varam na raajyam na kuraaja  raajyam.
Varam  na mitram na kumitra mitram.
Varam na shishyo  na kushishya shishyo.
Varam  na daaram  na kudaaradaarah.

Varam =  preferable.    Na = not.    Raajyam =  a Country.
Kuraaj = badly governed.  Mitram = a friend.    Kumitra=
a bad friend.    Shishyo = pupils.   kushishy = a bad pupil. 
Daaram = a wife.   Kudaar = a bad wife.

i.e.         Instead of living in a badly governed Country, it is
preferable not to live in such a a country.  Instead of having
a bad and unreliable friend, it is preferable not to have any
friend. Likewise, instead of having bad and incompetent pupils,
a Teacher should better not have any pupils, and instead of
having an ill-mannered and bad wife, a person should better
not have a wife.
.

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