Friday, 27 July 2018

आज का सुभाषित / Today's Subhashita.
















हतं  ज्ञानं   क्रिया  हीनं  हताश्चाज्ञानतो  नरः   |
हतं  निर्नायकं   सैन्यं  स्त्रियो नष्टा ह्यभर्तृका  ||
                             
भावार्थ  -    ऐसा ज्ञान निरर्थक  है  जिस का उपयोग किसी कार्य को 
सम्पन्न करने में नहीं किया जा सकता हो तथा एक अज्ञानी व्यक्ति
(जीवित हो कर भी) एक मृत व्यक्ति के समान होता है |   विना किसी 
सेनानायक के एक सेना भी कुशल नेतृत्व के अभाव में युद्ध करते समय 
नष्ट हो जाती है  तथा अपने पतियों से  विहीन स्त्रियां भी  निश्चय  ही 
सुखमय वैवाहिक जीवन से  वञ्चित हो जाती हैं | 

Hatam  gyaanam  kriyaa heenam hataashchaagyaanato  narah.
Hatam  nirnaayakam  sainyam  striyo  nashtaa hyabhartrukaa.

Hatam =  useless.   Gyaanam = knowledge.   Kriyaa=action.
Heenam= without .  Hataah +cha +agyaanato.   Hataah = dead
Cha = and.   Agyaanato = by being ignorant.    Hatam =killed. 
Nih +naayakam.    Nih = a prefix denoting absence of something.
Nayakam = a leader.   Striyo = women.   Nashtaa = deprived.   Hi +
Abhartrukaa.     Hi = surely.   Abhratrukaa = without their husbands.

i.e.     Knowledge which can not be utilized for some productive
purposes is useless, and an ignorant person is like a dead person
(in spite of being alive ).  An army not having a competent leader
perishes during a battle and  women without their husbands are
surely deprived of a peaceful marital life

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