Friday, 10 August 2018

आज का सुभाषित / Today's Subhashita.


अहिं  नृपं  च  शार्दूलं  वृद्धं  च  बालकं  तथा
परश्वानं  च  मूर्खं  च  सप्त  सुप्तान्न बोधयेत  |
                                       चाणक्य नीति (९/७ )

भावार्थ -   एक सर्प , राजा ,  शेर , वृद्ध व्यक्ति, बालक ,किसी  अन्य
व्यक्ति का कुत्ता तथा मूर्ख व्यक्ति . इन सात प्राणियों को यदि वे
निद्रित अवस्था में  हों तो उनकी निद्रा भङ्ग  कर जगाना नहीं चाहिये |

(निद्रा  भङ्ग होने पर ये किस प्रकार का  व्यवहार करेंगे इसका अनुमान
नहीं किया जा सकता है | अतः यही श्रेयस्कार है कि इनकी निद्रा भङ्ग
न की जाय | )

Ahim nrupam  cha  shaardoolam  bruddham  cha  baalakam tathaa,
Parashvaanam cha   moorkahm  cha sapta suptaaana  bodhayet.

Ahimm = a snake,    Nrupam = a king.   shaardoolam = a tiger.
Vruddham = an aged man.   cha = and.   Baalakam = a child.  Tathaa=
so also.   Parashvaanam = a dog belonging to an unknown person.
Mookham = an idiot.   Sapta =seven.    Suptaanna - Suptaa + na.
Suptaam =  asleep.   Na =  not.   Bodhayet = awaken from sleep.

i.e.     A snake, a king,  a tiger. an aged person, a child,  a dog belonging
to some one else and an idiot, all these seven if found to be asleep,
should not be disturbed and awakened from sleep.

(How these seven will behave if their sleep is disturbed can not be
guessed. So it is preferable not to disturb them.)


No comments:

Post a Comment