Saturday, 11 August 2018

आज का सुभाषित / Today's Subhashita.


यस्मिन्रुष्टे  भयं  नास्ति  तुष्टे  नैव  धनागमः  |
निग्रहोSनुग्रहो  नास्ति  स  रुष्टः  किं करिष्यति ||
                                      - चाणक्य नीति ( ९/९ )

भावार्थ -   जिस  व्यक्ति के तुम्हारे ऊपर क्रोधित होने पर तुम्हें
कोई भय न हो  और न उस व्यक्ति के तुम्हारे ऊपर प्रसन्न होने
से तुम्हें कोई आर्थिक लाभ होता हो, तो ऐसा व्यक्ति जो तुम्हें न
तो दण्डित कर सकता हो और न उपकृत कर सकता हो , तो वह
क्रोधित हो कर क्या तुम्हारी कोई  हानि कर सकता है ?  (अर्थात
कोई हानि नहीं कर सकता है )

Yasminrushte  bhayam  naasti  tushte  naiva  dhanaagmah.
Nigrahonugraho  naasti  sa  rushtah  kim  karishyati.

Yasmin + rushte,    Yasmin = whose.    Rushte = on being
angry.     Bhayam = fear.    Naastri =  non existence.
Tushte = on being pleased or satisfied.   Naiva = no, not.
Dhanaagamah = accesssion of wealth,  gain.   Nigraho +
Anugraho.    Nigraho = punishment.   Anugraho = showing
of favour.    Sa = that.   Rushtah = angry person.  Kim  =
what ?    Karishyati = can do.

i.e.     If  you are not afraid of a person on his being angry at
you, and do not have any monetary gain on his being pleased
at you, he can neither punish you nor do any favour to you.
Under such circumstances what harm  such  a person can do
to you by being angry at you ?

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