Tuesday, 21 August 2018

आज का सुभाषित / Today's Subhashita.



रङ्कं  करोति  राजानं   राजानं रङ्कमेव  च  |
धनिनं  निर्धनं  चैव  निर्धनं  धनिनं  विधिः  ||
                              - चाणाक्य नीति (१०/५)

भावार्थ  - सृष्टि के रचयिता सर्वशक्तिमान  ब्रह्मा जी जब
चाहें एक भिखारी को राजा  और राजा को भिखारी  बना देते 
हैं  |इसी प्रकार वे धनवानों को निर्धन और निर्धनों को धनवान
भी बना देते हैं |

(इस सुभाषित के  माध्यम से यह सनातन तथ्य प्रतिपादित
किया गया है कि मनुष्य की उन्नति और अवनति , सुख और
दुख,सब उसके भाग्य के अनुसार ही प्राप्त होते  हैं  |तुलसीदास
जी  ने भी कहा है कि ' हानि लाभ जीवन मरण यश अपयश विधि
हाथ' | )

Rankam  karoti  raajaanam  raajanam  rankameva cha.
Dhaninam  nirdhanam  chaiva  nirdhanam dhaninam vidhih.

Rankam = a beggar.   Karoti =  do, converts.    Raajaanam =
kings.     Ranakameva = Rankam + eva.        Eva=  really.
Cha = and.    Dhaninaam = rich persons.   Nirdhanam = poor
Chaiva = cha +eva     Vidhih =  destiny.  God Brahma.

i.e.        Destiny converts  beggars into kings,and  kings into
beggars.  Likewise , rich persons become poor and poor persons
become rich .

(Through this Subhashita the author conveys this message that
all progress, loss and gain, status in life, happiness and miseries
of human beings, all these are governed by the destiny and over
it  they have no control)

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