बुद्धिर्यस्य बलं तस्य निर्बुद्धेश्च कुतो बलम् |
वने सिंहो मदोन्मत्तः शशकेन निपातितः ||
- चाणक्य नीति (१०/१६ )
भावार्थ - जो व्यक्ति बुद्धिमान होता है वही बलशाली भी होता
है | एक बुद्धिहीन व्यक्ति (शारीरिक बल होते हुए भी ) भला कैसे
बलशाली हो सकता है ? देखो न, वन में एक साधारण खरगोश भी
एक मदोन्मत्त और शक्तिशाली सिंह का नाश करने में समर्थ होता
है |
( इस सुभाषित द्वारा यह तथ्य प्रतिपादित किया गया है कि मात्र
शक्तिशाली होना ही पर्याप्त नहीं है और उस शक्ति का उपयोग करने
के लिये बुद्धि भी उतनी ही आवश्यक होती है, जिसे 'पञ्चतन्त्र' की एक
कहानी ' चतुर खरगोश और मूर्ख सिंह' के उदाहरण द्वारा व्यक्त किया है |
इस कहानी में खरगोश सिंह को चतुराई से यह मानने को विवश कर देता है
कि एक कुंवें के अन्दर उसकी जो परछाई है वह एक अन्य सिंह है और
उस से लडने के लिये वह कुंवें में कूद गया और मारा गया | )
Buddhiryasya balam tasya nirbuddheshcha kuto balam.
Vane simho madonmattah sashakena nipaatitah.
Buddhih + yasya. Buddhih = intelligence. Yasya = whose.
Balam = power. Tasya = his. Nirbuddheh +cha. Cha =and.
Nirbuddheh = a stupid person Kuto = from where ? Vane =
in a forest. Simho = a lion, Madonmattah = intoxicated by
passion. Shashakena = by a rabbit. Nipaatitah=destroyed.
i.e. Whosoever is intelligent is also powerful , and how can
a stupid person (although physically strong) be a powerful
person ? See, in a forest a rabbit was able to destroy a Lion
intoxicated by passion.
(Through this Subhashita the author wants to convey the message
that merely possessing the power by a person is not sufficient and
the person must be intelligent enough to wield that power and to
illustrate this he has given the reference of the famous fable of the
lion and a rabbit from the 'Panchatantra' . The rabbit induced the
lion to believe that his reflection in the water inside the well was
another lion, whereby the lion jumped inside the well to fight with
his reflection in the water and died.)
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