Sunday, 5 August 2018

आज का सुभाषित / Today's Subhashita.


निर्गुणस्य  हतं  रूपं  दुःशीलस्य  हतं  कुलम्     |
असिद्धस्य हता  विद्या  ह्यभोगेन  हतं  धनम्  ||
                                   - चाणक्य नीति (८/१६)

भावार्थ  -  एक गुणों से रहित  व्यक्ति  की  छवि समाज में नष्ट
हो जाती  है तथा एक चरित्रहीन और दुष्ट व्यक्ति के कारण उस
के कुल का नाश हो जाता है |   एक अकुशल व्यक्ति कभी भी विद्या
प्राप्त नहीं कर सकता है तथा निश्चय ही  धन भी (एक कृपण व्यक्ति
के द्वारा )उपभोग न किये जाने पर अन्ततः नष्ट हो जाता है |

Nirgunasya hatam  roopam  duhsheelasya  hatam  kulam.
Asiddhasya  hataa vidyaa  hyabhogena  hatam  dhanam.

Nirgunasya =  a person without  any qualities or virtues.
Hatam = destroyed,  perishes.    Roopam = beauty, image.
Duhsheelasya = a wicked person's    Kulam = family, clan.
Asiddhasya = an incompetent person's.     Hataa = useless   
Vidyaa =knowledge.    Hi+ abhogena.     Hi = surely.   
Abhogena=by not enjoying or utilising.   Dhanam= wealth.

i.e.   The status and image of a person without any qualities
and virtues is destroyed  in the society, and  a wicked person's
family ultimately perishes .  An incompent person can never
acquire knowledge , and  wealth (hoarded by a miser) is surely
destroyed if it is not properly utilised  or consumed.

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