पत्रं नैव यदा करीलविटपे दोषो वसन्तस्य किं
नोलूकोप्यवलोकते यदि दिवा सूर्यस्य किं दूषणम् |
वर्षा नैव पतन्ति चातकमुखे मेघस्य किं दूषणं
यत्पूर्वं विधिना ललाट लिखितं तन्मार्जितुं कः क्षमः ||
- चाणक्य नीति (१२/६ )
भावार्थ - यदि (कांटों से भरे हुए )करील के वृक्ष में पत्तियों नहीं होती है
तो उस में वसन्त ऋतु का क्या दोष है ? और यदि उल्लू पक्षी को दिन के
प्रकाश में कुछ भी दिखाई नहीं देता है तो इसमें सूर्य की क्या गलती है ?
यदि वर्षा का जल चातक के मुख में नहीं गिरता है तो इसमें मेघ (बादलों)
की क्या त्रुटि (गलती) है ? विधाता द्वारा किसी के भाग्य में जो कुछ भी
पहले लिख दिया हो उसे मिटाने की क्षमता भला किस व्यक्ति में है ?
(अर्थात् कोई भी सक्षम नहीं है ) |
(संस्कृत साहित्य में यह मान्यता है कि चातक पक्षी केवल तभी अपनी प्यास
बुझाता है जब आकाश में 'स्वाति ' नक्षत्र का उदय हुआ हो और वृष्टि हो रही हो
तथा वर्षा का जल सीधे उस के मुंह में पडे | अन्यथा वह प्यासा ही रह जाता है | इस
विचार के संदर्भ में अनेक 'अन्योक्तियां ' कवियों ने रची हैं जिन्हें 'चातकान्योक्ति '
कहा जाता है |)
Patram naiva yadaa kareelavitape dosho vasantasya kim.
Nolookopyavalokate yadi divaa sooryasya kim dooshanam.
Varshaa naiva patanti chaatakamukhe meghasya kim dooshanam.
Yatpoorvam vidhinaa lalaata likhitam tanmaarjitum kah kshamah.
Patram = leaves Naiva = not. Yadaa = whenever. Kareela=
the name of thorny tree. Vitape = tree. Dosho = blame, defect.
Vasantasya = of the Spring Season. Na + ulooko + api+ avalokate.
Na = not. Ulooko = the Owl. Api = even. Avalokate =sees.
yadi = if. Divaa = day time. Sooryasya = of the Sun. Kim = what.
Dooshanam = fault. Varshaa = rain. Patanti = falls. Chaataka=
a bird about whom there is a legend that it drinks rain water falling
on its throat during a specific time frame known as 'Svaati Nakshatra'
in Astronomy . Mukhe = mouth. Meghasya = of the cloud. Yat =
that. Poorvam = earlier. Vidhinaa = by the destiny. Lalaata=
forehead. Likhitam = written. tam +maarjitum. Tam = to it.
Maarjitum = remove, wipe. Kah = who. Kshamah = power,capacity.
i.e. If no leaves grow in a 'kareel' tree ( which is full of thorns) , why
we should blame the Spring Season for it ? If the Owl is not able to see
any thing during day time, why we should blame the Sun for it ? If the
rain water does not enter in the mouth of the 'Chaatak' bird (and it remains
thirsty, why should the clouds be at fault for this ? Whatever Destiny has
written as one's fate over his forehead , who is capable of wiping it ?
(That is no body is capable to do so and whatever is destined will happen )
Nice. Thank you.
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