Tuesday, 9 October 2018

आज का सुभाषित / Today's Subhashita.


कर्मागतं  फलं  पुंसां  बुद्धिः  कर्मानुसारिणी  |
तथापि सुधियश्चार्या  सुविचार्यैव  कुर्वते      ||
                              - चाणक्य नीति (१८/१८)

भावार्थ -   मनुष्य जैसे कर्म करता है उसी के अनुसार ही उसे शुभ
या अशुभ फल प्राप्त होते हैं तथा बुद्धि भी उन्हीं कर्मों के अनुसार ही
अच्छी या बुरी हो जाती है  |  फिर भी जो व्यक्ति समझदार होते हैं
वे भली प्रकार विचार करने के बाद ही कोई कार्य करते हैं ||

Karmaagata  phalam  pumsaam  buddhih  karmaanusaarinee.
Tathaapi sudhiyashchaaryaa  suvichaaryeva  kurvate.

Karmaagata = Karma+ aagat.     Karma =work.    Aagat =
coming from,      Phalam = as a result of, fruits.    Pumsaam=
people.     Buddhih = perception.        Karma+ anusaarinee.
Anusaarinee = accordingly.    Tathaapi = even then.    Sudhiyah=
sensible .    Chaaryaah= activity.     Suvichaarya+ eva.
Suvichaarya = after thoroughly deliberating .    Kurvate =do.

i,e,      People get  good or bad results according to the activities
undertaken by them and their perception also changes accordingly.
Even then sensible persons do their activities after thoroughly
deliberating over the consequences of their action.


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